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भौतिक वाद और मानवता

jara sochiye
jara sochiye
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१ डॉक्टर अपना मेडिकल कोर्स पूर्ण कर उपाधि लेते समय मानवता के प्रति कर्तव्य निभाने की शपथ लेता है.परन्तु जब वह अपना व्यवसाय करता है तो अपनी भौतिक अवश्यक्ताओ के वशीभूत हो कर अपनी शपथ भूल जाता है.और मरीजों से अपनी योग्यता की पूरी कीमत वसूलता है.और मानवीय मूल्यों को नकार देता है.
२ कुछ दुकान दार उद्यमी, व्यापारी खाद्य पदार्थों दवाइयों में मिलावट कर अथवा नकली माल उत्पादित कर जनता के जीवन से खिलवाड़ करते हैं. धन पिपासा ने उन्हें इन्सान से जानवर बनने को मजबूर कर दिया है.
३ शिक्षको को समाज के निर्माण करता के रूप में जाना जाता है,इसलिय उनके व्यवसाय को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है.परन्तु बच्चों के भविष्य निर्माण के जिम्मेवार स्कूल कालेज के प्रबंधक अभिभावकों से असीमित धनराशी वसूल कर शोषण करते हैं.और अपनी तिजोरियां भरते हैं.शिक्षक भी पढाई में उचित ध्यान न देकर ट्यूशन द्वारा कमाई करना अपना अधिकार समझते हैं. और शिक्षा को दौलतमंदों की बपोती बना कर रख दिया है.गरीब परन्तु मेधावी छात्र उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा से वंचित रह जाता है
४ राजनैतिक नेता जो देश के कर्णधार हैं, जिन पर जनता के कल्याण की जिम्मेदारी होती है,अपने आर्थिक लाभ के बिना कुछ भी करने को तय्यार नहीं होते. और अब तो धन लोलुपता की कोई सीमा भी नहीं रह गयी है.
५ बड़े बड़े पदों पर विराजमान अधिकारी धन के लिय देश की गुप्त जानकारियां भी बेच देने में संकोच नहीं करते.
६। न्याय की सीट पर बठे महानुभाव भी अनियमित आचरण के शक के दायरे में आने लगे हैं.
आम सरकारी कर्मी जिसका वेतनमान आम जनता की आमदनी से कही अधिक है फिर भी अतिरिक्त आमदनी पर नजर बनाय रहते हैं.
७. आम पुलिस कर्मी स्वयं को सुपरमेन समझता है अतः अधिक से अधिक भौतिक सुविधायं जुटाने के लिय आम आदमी की खाल का सौदा करता रहता है.
यही है हमारे देश की महानता

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