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अपनी बेटी को अच्छी बहू बनने के संस्कार दें

jara sochiye
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समाज में बहू और बेटी से भिन्न भिन्न अपेक्षाएं की जाती हैं.बहू से उम्मीद की जाती है की वह सास ससुर की सेवा करे ,सभी को सम्मान दे और पूरे परिवार के साथ रहे. परन्तु बेटी के लिए एकल परिवार ढूँढने का प्रयास करते हैं, ताकि सास ससुर से अलग सुखी जीवन व्यतीत कर सके अथवा ससुराल जाते ही पति के साथ अलग घर बसा ले.आखिर ऐसी भेद भाव वाली सोच क्यों? यानि आपकी बेटी रानी बन कर रहे और परायी बेटी घर में सेविका या बांदी बन कर रहे. यदि अपनी बहू से अपेक्षा करते हैं की वह संयुक्त परिवार में सामंजस्य बनाये तो बेटी को भी प्रेरित करना चाहिए की वह संयुक्त परिवार में तालमेल बनाने के प्रयास करे. और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करे. अपनी बेटी को बचपन से शिक्षा दें ससुराल में सास ससुर उसके माता पिता का स्थान लेते हैं. उनके साथ सम्मान और स्नेह का व्यव्हार कर उनका दिल जीतना चाहिए. कुछ परिवारों में बालिका को सास ससुर को वीभत्स रूप में दर्शाया जाता है.उसके मन में नफरत भर दी जाती है. उन्हें विलन के रूप में दिखा कर बचपन से ही उसके मानस पटल पर इर्ष्या अंकित कर देते हैं.जो बेटी सास ससुर या ससुराल के प्रति दुर्भावना लेकर अपनी ससुराल जायेगी, वह ससुराल वालों के साथ सामान्य व्यव्हार कैसे कर पायेगी? सभी सास ससुर खराब नहीं होते.अतः अपनी बेटी में निष्पक्ष विश्लेषण करने की क्षमता विकसित करें ताकि वह व्यक्ति के स्वभाव के अनुरूप व्यव्हार कर सके,उसकी यही योग्यता आपके लिए,आपकी बेटी के लिए ,और पूरे समाज के लिए हितकरी होगा.

यदि सभी माता पिता अपनी बेटी में अच्छी भावनाओं का विकास करेंगे तो उन्हें आने वाली बहू (किसी अन्य की बेटी)भी उनके साथ अच्छा व्यवहार कर पायेगी.उनके लिए बहू एक अच्छी बेटी साबित होगी.परिवार में मान,सम्मान, त्याग और प्यार भरा खुशनुमा वातावरण बन सकेगा और सुख शांति का वास होगा.

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