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जिस प्रकार से मानव द्रुतगति से उन्नति के शिखर पर चढ़ रहा है व्यक्ति का जीवन अधिक सुविधा संपन्न होता जा रहा है।क्योंकि नित नयी प्रौद्योगिकी का विकास हो रहा है,जैसे जैसे नयी प्रौद्योगिकी विकसित होती जाती है उसे शीघ्र प्राप्त कर लेने वाला व्यक्ति ही अधिक तीव्रता से उन्नति के शिखर पर बढ़ता जाता है।पहले कभी जहाँ साधारण एवं पौष्टिक भोजन,तन ढकने के लिए मोटा कपडा और रहने के लिए अपनी झोंपड़ी या छोटा मकान होना ही किसी व्यक्ति को संतुष्टि दे देता था,आने जाने के लिए यदि साईकिल उपलब्ध हो तो बेहतर हो जाता था।परन्तु आज प्रत्येक मानव की बेहतर और विलासितापूर्ण जीवन जीने की अंतहीन लालसा हो गयी है,अब उसे सिर्फ भोजन नहीं नए नए व्यंजन की चाहना होती है,कपडे आधुनिक फेशन के अनुसार सुन्दर एवं लुभावने वस्त्रों के बिना काम नहीं चलता,मकान बिलकुल आधुनिक शैली के अनुसार बने होने चाहिए,कम से कम टाइलों से सुसज्ज्ति तो होना ही चाहिए,इसके अतिरिक्त भी अन्य बहुत सारी नयी नयी आवश्यकताएं जीवन में जुडती जा रही हैं।अब अधिक साधन या अधिक सुविधाएँ जुटाने के लिए अधिक योग्यता की आवश्यकता भी बढती जा रही है,अधिक योग्य एवं अधिक कार्यक्षमता वाला व्यक्ति अधिक सुविधा संपन्न हो सकता है। नयी उपलब्धियों को प्राप्त करने की महत्वाकांक्षा के कारण आम इन्सान के लिए अधिक योग्य होना आवश्यक हो गया है।
हमारे देश में जनसँख्या विस्फोट ने रोजगार के अवसरों पर अंकुश लगाया हुआ है,जिस कारण प्रतिस्पर्द्धा बढ़ रही है।यह प्रतिस्पर्द्धा जीवन के हर क्षेत्र में व्याप्त है,चाहे वह शिक्षा पाने के लिए विद्यालय में प्रवेश का विषय हो या शिक्षा पाने के पश्चात् रोजगार ,नौकरी अथवा व्यवसाय का क्षेत्र हो।जब योग्य व्यक्तियों की अधिकता हो और उन्हें रोजगार मिलना कष्टसाध्य हो रहा हो तो अधिक योग्य के लिए रोजगार के अवसर अधिक हो जाते हैं,इसी कारण जहाँ कुछ दशकों पूर्व किसी भी विषय में सिर्फ योग्य हो जाना ही सम्मानीय जीवन या सुविधा संपन्न जीवन जीने की गारंटी था। आज सिर्फ योगता प्राप्त कर वर्तमान उच्च जीवन मूल्यों के अनुरूप जीने की लालसा कारना व्यर्थ हो गया है, वर्तमान समय में कुछ विशेष योग्यता प्राप्त करना,कुछ विशेष कर लेने की क्षमता विकसित कर लेना ,परम्पराओं से हट कर कुछ नया करने की योग्यता, ही जीवन के उच्चतम स्तर पर ले जाने का माध्यम हो सकता है।
उदाहरण स्वरूप कुछ दशक पूर्व ऍम बी बी एस की डिग्री प्राप्त कर डॉक्टर के लिए सम्मानिये स्थिति होती थी,उसे योग्य एवं सम्मान्निये व्यक्ति माना जाता था। आज जीवन में कामयाब होने के लिए एम् डी,एम् एस की डिग्री प्राप्त कर चिकित्सा करने वाले ही सुविधा संपन्न डॉक्टर बन पाते हैं, समाज में सम्मानीय हो पाते हैं। इसी प्रकार अभियंता के लिए जहाँ पहले मात्र डिप्लोमा या स्नातक की डिग्री ही काफी थी। आज तकनीक का स्नातकोत्तर होना आवश्यक हो गया है(एम् ई,एम् टेक आदि )इसी प्रकार से अन्य व्यवसायों में जो लोग कुछ नया दिखा पाते हैं या विशिष्ट योग्यता रखते हैं वे ही उन्नति कर पाते हैं।अब यह भी आवश्यक नहीं रहा गया है की परंपरागत व्यवसायों(इंजिनियर,डाक्टर इत्यादि ) में पारंगत होने पर ही उसे सफलता मिलेगी,बल्कि नयी तकनीक के साथ साथ अनेकों नए क्षेत्र खुले हैं,अपनी रूचि के अनुसार उन क्षेत्रों में जाकर, अपनी योग्यता दिखा कर भी जीवन को सफल बनाया जा सकता है।
अतः विद्यार्थियों को सिर्फ किसी भी क्षेत्र में मात्र योग्यता प्राप्त कर लेने से ही संतुष्ट नहीं हो जाना चाहिए। उसे कुछ विशेष योग्यताएं प्राप्त करने के लिए भी प्रयास करने चाहिए, तब ही आज की प्रतिस्पर्द्धा में जीत पायेगा,और जीवन को सफल बना पायेगा।
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