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पत्रकारिता दिवस (30मई )

jara sochiye
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स्वस्थ्य लोकतंत्र को मुख्य चार स्तंभों पर निर्भर माना जाता है उनमे प्रेस या इलेक्ट्रोनिक मीडिया भी एक स्तम्भ होता है।अतः मीडिया की बहुत बड़ी जिम्मेदारी भी देश के प्रति और देश की जनता के प्रति होती है।देश में लोकतंत्र को जिन्दा रखने और जनता के अधिकारों की रक्षा करने की ,लोकतंत्र के शेष सभी स्तंभों अर्थात विधायिका ,शासन और प्रशासन अर्थात कार्य पालिका एवं न्याय पालिका के क्रिया कलापों की जानकारी जनता को देना और उसके कार्यों पर नियंत्रण का मुख्य कार्य भी मीडिया का ही होता है।यदि मीडिया चुस्त दुरुस्त रहता है तो लोकतंत्र के शेष स्तम्भ अपने कार्यों को जनता के हित में कार्यरत रहते हैं ,और जनता इन स्तंभों द्वारा शोषण के शिकार होने से बची रहती है।प्रेस या मीडिया को सामग्री उपलब्ध कराने का कार्य एक पत्रकार का होता है। अतः एक पत्रकार देश के चौथे स्तम्भ का मुख्य घटक होता है।प्रेस की छवि बनाने या बिगाड़ने की जिम्मेदारी उसके ऊपर ही होती है।स्वस्थ्य एवं निष्पक्ष पत्रकारिता किसी भी प्रेस एजेंसी को लोकप्रिय बना सकती है, और पीत पत्रकारिता अपने व्यवसाय और जनता के साथ धोखा है। हो सकता है कुछ समय उसे लोकप्रियता भी प्राप्त हो जाय,परन्तु अधिक समय तक नहीं चल पाती।पत्रकारिता दिवस के इस अवसर पर एक सफल पत्रकार के लिए आवश्यक गुणों का विश्लेषण समय की प्रासंगिकता है;-

निर्भीकता;-
एक अच्छे पत्रकार के लिए प्रत्येक समाचार को निष्पक्षता के साथ जनता के समक्ष रखने के लिए निर्भीकता की आवश्यकता होती है।कुछ समाचार किसी एक व्यक्ति या समूह के हितों के विरुद्ध हो सकते है,प्रभावित व्यक्ति या समूह पत्रकार पर अपना दबाव बनाने के हर संभव प्रयास कर सकते हैं,या उसे धमकियाँ दे सकते हैं,उसे प्रशासन का भय दिखाया जा सकता है ,उसे धन का लालच दिया जा सकता है,पत्रकार के न मानने पर उस पर हमला भी किया जा सकता है, जिससे उसकी जान को खतरा भी हो सकता है।परन्तु देश हित और जनहित में अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना ही सच्ची पत्रकारिता है।अक्सर पत्रकारों को अपराधियों,राजनेताओं,नौकरशाहों और कभी कभी मालिकों का कोप भाजन होना पड़ता है,प्रताड़ित होना पड़ता है।बड़े ग्रुप से जुड़े पत्रकारों को अपने मालिकों की ओर से पर्याप्त सुरक्षा भी मिलती है परन्तु छोटे और मझौले ग्रुप से जुड़े पत्रकारों को सारे जोखिम स्वयं ही झेलने होते हैं।अतः सच्ची समाज सेवा की भावना रखने वाले पत्रकार ही इस पेशे को शोभायमान कर सकते हैं।

सटीक एवं सत्य जानकारी;-
जो भी जानकारी पत्रकार द्वारा मीडिया को उपलब्ध करायी जाये वह सत्यापित और तथ्य पूर्ण होनी चाहिए।संदेहास्पद एवं अधूरी जानकारी किसी के भी हित में नहीं होती। पत्रकार को समाज का शिक्षक भी माना जाता है,इसलिए पत्रकार रुपी शिक्षक (पत्रकार) को अपने द्वारा प्रेषित समाचारों या जानकारी के लिए पूर्णतयः गहरा ज्ञान होना आवश्यक है।यदि कोई पत्रकार अधूरी या गलत जानकारी देकर जनता को गुमराह करता है तो यह उसकी अपने व्यवसाय के प्रति गद्दारी है।

श्रमजीवी पत्रकार;-
एक पत्रकार के लिए श्रमजीवी अथवा मेहनतकश होना आवश्यक है किसी भी सूचना अथवा जानकारी की तह में जाने के लिए निरंतर श्रम और अध्ययन की आवश्यकता होती है।अतः समाचार के सत्यापन और तथ्यों की जानकारी के लिए पार्यप्त श्रम की आवश्यकता होती है।जिन्हें जुटाने में अनेकों जोखिम भी होते हैं,जैसे युद्ध की खबरे एकत्र करना ,प्राकृतिक आपदा के समय की कवरेज करना,दंगो के समाचार एकत्र करना,या आतंकी हमले के समाचार एकत्र करना और निरंतर जनता को ताजा स्थिति से अवगत कराना। ऐसी परिस्थितियों में समाचारों का संकलन और विडियो बनाना,जान जोखिम के साथ साथ, श्रमसाध्य, कष्टसाध्य कार्य होता है।अतः अपने व्यवसाय के प्रति न्याय करने के लिए पत्रकार को अपना सुख चैन त्यागना पड़ता है।

सम्बन्ध बनाने की योग्यता;-
एक अच्छे पत्रकार के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग से सम्बन्ध बनाने की क्षमता होनी आवश्यक है,विभिन्न समुदायों के मुखिया,छोटे से लेकर बड़े नेता ,सरकारी संत्री से लेकर मंत्री तक सभी से सम्बन्ध बनने और उनसे वार्तालाप करने की योग्यता होना बहुत ही आवश्यक है।इस योग्यता के अभाव में वह समाचारों की जानकारी जुटाने में सफल नहीं हो सकता।और अपने व्यवसाय के प्रति न्याय नहीं कर सकता।

जानकारी या समाचार प्रेषण क्षमता;-
एक पत्रकार के लिए जितना आवश्यक समाचार जुटाना,उसकी गहराई तक जाना है उतना ही आवश्यक है उसकी सम्प्रेषण क्षमता।जनता के समक्ष उसकी भाषा में अपनी एकत्रित सामग्री की जानकारी देना पत्रकार के लिए आवश्यक होता है। अतः उसे दोनों भाषाओँ पर मजबूत पकड़ होनी आवश्यक है,यानि जहाँ से समाचार या जानकारी जुटाई गयी है, वहां प्रचलित भाषा ,और जहाँ मीडिया को अपनी जानकारी देनी है अर्थात अपने दर्शको या श्रोताओं की भाषा।

पत्रकार एक प्रेरणा स्रोत ;-
पत्रकार द्वारा संप्रेषित संवाद,समाचार,जानकारी इत्यादि का सीधा प्रभाव जनता के मानस पटल पर पड़ता है।अतः उसके द्वारा प्रेषित नकारात्मक समाचार समाज को गलत दिशा प्रदान करते हैं जैसे उत्तेजक,अश्लील, द्वेष युक्त, सन्देश समाज को विकृत करते हैं,वहीँ प्रेरणा दायक या सकारात्मक सन्देश जनता में शांति ,सौहार्द,और सद्चरित्र की भावना विकसित करते हैं।अतः एक पत्रकार को समाज सुधार का वाहक भी समझा जाता है। एक अच्छे पत्रकार को समाज सुधार का कर्त्तव्य जिम्मेदारी से निभाना चाहिए।

पीत पत्रकारिता ;-
एक सच्चे पत्रकार को अपने स्वार्थ वश किसी लालच वश, पीत पत्रकारिता से बचना चाहिए।अर्थात कोई समाचार सत्य से परे है, यह अर्धसत्य है,भ्रामक है,किसी को ब्लेकमेल करने के उद्देश्य से प्रेषित है या किसी से बदला लेने की नियत से समाचार दिया जाता है, उसे ही पीत पत्रकारिता का नाम दिया जाता है।अपने स्वार्थ के लिए या आर्थिक लाभ के लिए मिथ्या सन्देश देना पीत पत्रकारिता का ही भाग है।यदि कोई पत्रकार अपने पेशे में व्यक्तिगत हितों को प्रमुखता देता है, तो एक भ्रष्ट नौकरशाह और पत्रकार में कोई अंतर नहीं रह जाता।उसकी अपनी और प्रेस की विश्वनीयता पर ग्रहण लग जाता है जो देश और समाज के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।

देश की सुरक्षा की प्राथमिकता;-
एक पत्रकार के लिए आवश्यक होता है की वह किसी भी समाचार को जनता तक पहुंचने से पहले सोचे की इस खबर से देश की सुरक्षा को तो कोई खतरा नहीं होगा।हो सकता है कोई समाचार देश के दुश्मन के लिए लाभकारी सिद्ध होने वाला हो।यदि कोई ऐसी गुप्त जानकारी पत्रकार के हाथ लगती है,जिससे देश का अपमान होता हो,किस धर्म का अपमान होता हो या धार्मिक सोहार्द बिगड़ने की सम्भावना बनती हो,देश के किसी कानून का उल्लंघन होता हो,न्यायालय का अपमान होता हो,ऐसी जानकरियों को जनता को देने से बचना चाहिए।किसी भी पत्रकार के लिए देश हित सर्वोपरि होना चाहिए।

पत्रकारिता की मजबूरियां या सीमायें ;-
यद्यपि पत्रकारिता का व्यवसाय अनेक प्रकार के खतरों से भरा होता है उस पर अनेक जिम्मेदारियों का बोझ होता है,फिर भी उसकी अनेक ऐसी मजबूरियां भी होती है जो उसे व्यवसाय के प्रति न्याय करने से रोकती हैं।
पत्रकार स्वतन्त्र रूप से कार्य करता हो या वेतनभोगी हो उसे अपनी समाचार एजेंसी अथवा मीडिया के व्यवसायिक हितों का ध्यान रखना पड़ता है,उसे अपने प्रतिद्वंद्वियों से मोर्चा लेना होता है।अपने मीडिया के हितों को ध्यान में रखते हुए ही उसे समाचार की सुर्ख़ियों का चुनाव करना पड़ता है, जिससे अधिक से अधिक दर्शक या श्रोता मीडिया से जुड़ सकें,और अपनी संस्थान को लोकप्रियता प्राप्त हो सके।अनेको बार मालिक के हितों को ध्यान रखते हुए किसी समाचार की गंभीरता से समझौता करना पड़ता है।कभी कभी दबंगों अथवा प्रभाव शाली व्यक्तियों के दबाव में समाचार की प्रमुखता को दरकिनार करना पड़ता है।कुछ पत्रकार नकारात्मक ख़बरों को तूल देकर जनता को आकर्षित करने का प्रयास करते है .कुछ पत्रकार बदले की भावना से समाचार को सुर्ख़ियों में रख देते हैं।कभी कभी अपने समाचार पत्र,पत्रिका या चैनल को लोकप्रिय बनाने के लिए सनसनी खेज खबरों,या चटपटी ख़बरों का सहारा लेते है।कहने का तात्पर्य है की कभी स्वार्थवश,तो कभी मजबूरी वश, अपने व्यवसाय से समझौता करना पड़ता है।
परन्तु स्वस्थ्य पत्रकारिता के लिए सभी विषम परिस्थितियों के साथ अपने उद्देश्य के लिए निरंतर अग्रसर होते रहना ही स्वस्थ्य पत्रकारिता है जिसमे सभी की भलाई निहित है।

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