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विश्व बाल श्रम निरोधक दिवस(12 जून )

jara sochiye
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भारत के प्रथम प्रधान मंत्री श्री जवाहर लाल नेहरु ,जो बच्चों में चाचा नेहरू के नाम से जाने जाते थे।बच्चों के प्रति उनके असीम स्नेह के कारण उनके जन्म दिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।उन्होंने हमेशा अपने देश के बच्चों को देश के भावी कर्णधार के रूप में देखा,और उनके बचपन को सर्व सुविधा संपन्न करने के लिए प्रयास रत रहे।उनके अनुसार यदि हमारा बचपन अभावों,शोषण या कष्टों में व्यतीत होगा तो वे देश को नयी ऊचाइयों तक ले जाने में कैसे सक्षम होंगे।उन्होंने हमेंशा चाहा वर्तमान के बच्चों का बचपन ,उनका चरित्र निर्माण, उचित शारीरिक विकास और मानसिक विकास के लिए आरक्षित होना चाहिए,ताकि वे भविष्य में देश के स्वस्थ्य और आदर्श नागरिक बन सकें।देश के विकास में समुचित योगदान दे सकें।
मुख्यतः विकास शील देशों में बालश्रम एक विकट समस्या के रूप में विद्यमान है।हमारे देश में Centre for concern of child की रिपोर्ट के अनुसार पांच से चौदह वर्ष के कुल 25 से 30 करोड़ में से 10 करोड़ बच्चे बालश्रमिक के तौर पर कार्य कर रहे हैं।जिनमे 30%गिट्टी खदानों व् क्रेशर कार्यों में,20%ईंट भट्टे पर,20%होटल,या चाय की दुकानों पर,28%घरेलू कार्यों में और 2%विभिन्न कारखानों में लगे हुए हैं।आखिर क्या कारण है की इतनी बड़ी संख्या में बच्चों को अपने बचपन का बहुमूल्य समय खेल कूद,पढाई लिखाई या मनोरंजन के स्थान पर मजदूरी करके बिताना पड़ता है।
इस समस्या को समझने के लिए बच्चे और उसके परिवार की मजबूरियों को समझना आवश्यक है,जिन्हें समझ कर ही इनकी समस्या का समाधान ढूँढा जा सकता है। प्रस्तुत हैं कुछ मुख्य कारण जिनके रहते बच्चों को विभिन्न अमानवीय परिस्थितियों में बचपन गुजारने को मजबूर होना पड़ता है;

1,सभी बच्चे गरीब और पिछड़े समुदाय से आते हैं।अशिक्षित और निम्न आय वर्ग के परिवारों में शिक्षा के महत्त्व को नहीं समझा जाता।अतः जब बच्चे कुछ कर पाने की क्षमता पा लेते हैं तो उन्हें जीविकोपार्जन का साधन बना दिया जाता है।अर्थात आठसे दस वर्ष की आयु में उन्हें किसी रोजगार से लगा दिया जाता है,या न के बराबर पगार पर कार्य सीखने के उद्देश्य से किसी वाणिज्यिक संस्थान के साथ जोड़ दिया जाता है,जहाँ पर उन्हें शिक्षा कम श्रम के तौर पर अधिक इस्तेमाल किया जाता है।

2,निम्न आय वर्ग में समझदारी के अभाव में बच्चे अधिक होते हैं।परिवार बड़ा होने के कारण परिवार के भरण पोषण के लिए अल्प आयु में ही श्रम करने के लिए प्रेरित होना पड़ता है।छोटे छोटे बच्चों की मजबूरी होती है की वे घर के खर्च को पूरा करने के लिए अर्जन का साधन बने।

3,अपना निजी वाणिज्यिक प्रतिष्ठान होने के कारण किसी नौकर का वेतन बचाने के लिए अपने बच्चों को ही अपने कार्यों में संलग्न कर लिया जाता है।जिस कारण बच्चों को खेलने कूदने,या शैक्षिक कार्यों के लिए समय नहीं मिल पाता।उनका बचपन जिम्मेदारियों के बोझ तले दब जाता है,उनका शारीरिक और मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है।

4,परिवार में माता पिता की मृत्यु हो जाने,उनके किसी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हो जाने पर,या उनकी विकलांगता के कारण पूरे परिवार का आर्थिक बोझ नन्हे कंधो पर आ जाता है।और मजदूरी कर परिवार के भरण पोषण में सहायक बनना उनकी मजबूरी बन जाती है,उनका भविष्य दांव पर लग जाता है।

5,कुछ परिवारों में अभिभावक बच्चों को पाठशाला में भेजने के स्थान पर दस्तकारी सिखाने के लिए किसी मिस्त्री के पास भेज देते हैं।जहाँ ये बच्चे बिना वेतन के या बहुत कम वेतन पर बाल श्रमिक बन जाते हैं।स्कूटर,टी वी ,मोटर वाइंडिंग ,कढाई सिलाई जैसे कार्यों के मिस्त्री उनके नियोजक बन जाते हैं।बच्चों को काम सिखाने के बहाने उन्हें अवैतनिक श्रमिक मिल जाता है।जहाँ पर कभी कभी उनका मानसिक और शारीरिक शोषण भी होता है।

6,जिन घरों में अभिभावक नशे के चंगुल में फंसे होते हैं उनके परिवार की आवश्यकताएं उनकी द्वारा अर्जित आय से पूरी नहीं होती,अतः बच्चों को धनार्जन के लिए मजदूरी करने को मजबूर होना पड़ता है।ऐसे बच्चों के अभिभावक ही अपने दुष्कर्मों के कारण ,उनका बचपन बर्बाद कर देते हैं।

7,कुछ अभिभावकों को शिक्षा पर खर्च करना धनाभाव के कारण संभव नहीं हो पाता,और बच्चे को अर्थोपार्जन में लगाना अधिक उचित मानते हैं।

8,नियोजक को बालश्रमिक अपेक्षाकृत सस्ता और समस्या रहित होने के कारण बच्चों को नियोजित करना श्रेयस्कर लगता है।जो बालश्रम को प्रोत्साहित करने का कारण बनता है।और छोटे कारोबारी छोटे छोटे बच्चों के अभिभावकों को लालच देकर बच्चों को श्रम करने के लिए प्रेरित करते रहते हैं।

9,कभी कभी माता पिता द्वारा लिए गए कर्ज के ब्याज की अदाएगी के रूप में बच्चे को सेठ का घरेलू नौकर बनना पड़ता है।यद्यपि आज इस प्रकार की मजबूरियां बहुत कम हो गयी हैं। क्योंकि बैंक गाँव गाँव जा कर बहुत कम ब्याजदरों पर कर्ज उपलब्ध करा रहे हैं,सुदूरवर्ती गावों में,जहाँ बैंक नहीं पहुँच पाए हैं, हो सकता है अब भी इस प्रकार की बालश्रमिक समस्या हो।

विश्व बाल श्रम निरोधक दिवस के अवसर पर बलश्रम रोकने के लिए उनके कारणों का अध्ययन कर परिवार की व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान खोजना होगा।बिना उनकी समस्याओं ,मजबूरियों को जाने समझे,उनके परिवार से या बच्चो से सख्ती करना अन्याय करना होगा।उनकी समस्याओं का ध्यान रखते हुए निम्न लिखित उपायों पर भी विचार किया जा सकता है;

1,अभिभावकों एवं माता -पिता को बच्चों के लिए शिक्षा और खेल कूद के महत्त्व को बताना,समझना होगा।

2,जो परिवार शिक्षा का खर्च उठाने में असमर्थ हैं,उनके बच्चों को यथा संभव शिक्षा का खर्च स्वयं सेवी संगठन या सरकार उठायें।उस सहायता का आधार आर्थिक क्षमता होना चाहिए न की कोई जाति विशेष।सभी गरीब परिवारों के बच्चों को आवश्यकतानुसार मदद मिलनी चाहिए।

3,यदि पारिवारिक विषम स्थितियों के कारण बालक को रोजागर करना आवश्यक हो, उन्हें शिक्षा और खेल कूद के लिए पर्याप्त साधनों और समय की व्यवस्था अवश्य की जाय।यदि बच्चे का भविष्य भी उस रोजगार से सम्बद्ध होना है तो भी उसे पर्याप्त स्कूली और कालेज शिक्षा दिलानी चाहिए।

4,जो भी कार्य जोखिम भरे हों,जिनसे बच्चों की जान को खतरा हो या उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंका हो , उनमे बच्चों को बिलकुल भी संलिप्त नहीं होने देना चाहिए।उन्हें अन्य विकल्प सुझाये जाने चाहिए।

5,कार्य स्थलों पर बच्चों के शारीरिक,या मानसिक और आर्थिक शोषण से रक्षा के लिए पर्याप्त कानून बनाकर सख्ती से लागू किये जाने चाहिए।

6,यदि बच्चे किसी मिस्त्री या कारीगर से सम्बद्ध है तो उन्हें प्रायोगिक ज्ञान के साथ साथ उसके ट्रेड की प्राथमिक तथ्यात्मक जानकारी भी दिलाने की व्यवस्था की जानी चाहिए।

7,अभिभावकों को अपने बच्चों और अपने परिवार के अच्छे भविष्य की खातिर नशे जैसी लतों से दूर रहने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।जब नशे या अन्य बुराईयों पर नियंत्रण कर खर्चों बचाया जायेगा तो परिवार के हालत स्वयं सुधरने लगेंगे।यदि परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी तो बच्चो का भविष्य भी उज्जवल हो सकेगा।

अपने देश के भविष्य को संवारने के लिए आज के बच्चों को उनका बचपन उन्हें लौटना होगा और उनके बचपन को उनके शारीरिक,नैतिक और मानसिक विकास पर व्यय करना होगा.ताकि वे आदर्श,चरित्रवान,हृष्ट पुष्ट एवं स्वस्थ्य नागरिक बन सकें और देश के विकास में योगदान दे सकें,देश का गौरव बन सकें। (SA-93D)
सत्य शील अग्रवाल, , शास्त्री नगर मेरठ

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