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आपसी सम्बन्ध कैसे मधुर बनें?

jara sochiye
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वर्तमान भौतिकवादी युग की भागदौड और निरंतर आगे बढ़ने की चाह ने समाज को विकृत किया है।आज मानव स्वभाव में सम्वेदनहीनता बढती जा रही है। समाज में व्याप्त अराजकता,भ्रष्टाचार,अनाचार ,व्यभिचार,स्वार्थपरता समाज की अंतिम और प्रथम इकाई अर्थात परिवारों में दस्तक देने लगी है। आज परिवार और परिजनों के आपसी संबंधों में कटुता स्वार्थपरता घर करने लगी है ,उनमे आत्मीयता का अभाव होता जा रहा है।अब तो एकाकी परिवार के सदस्यों यानि पति पत्नी के रिश्तों में भी यही व्यव्हार पनपने लगा है।
यदि कोई व्यक्ति सर्वसाधन संपन्न है,विशाल धन दौलत का मालिक है परन्तु उसके अपने उसके साथ नहीं है,उनमे प्यार,स्नेह उदारता नहीं है तो वह व्यक्ति किस प्रकार अपने को सुखी रख सकता है।प्रस्तुत लेख के माध्यम से इस विषय पर गहन चिंतन करते हुए कुछ सिद्धांतों को प्रतिपादित करने का प्रयास किया गया है ,शायद यदि उन्हें निभाने का प्रयास किया जाय, साथ ही परिवार के प्रत्येक सदस्य की इच्छा परिवार के माहौल को निर्मल एवं सौहार्द पूर्ण बनाने की हो तो, अवश्य ही सफलता मिलने की सम्भावना बनेगी।
आज से पचास वर्ष पूर्व न तो आज की भांति शिक्षा का प्रचार प्रसार था और न ही आज की तरह ग्लेमर की चकाचौंध।उन दिनों आज की भांति सिनेमा या इलेक्ट्रोनिक मीडिया( टी .वी .इंटरनेट इत्यादि ),या समाचार पत्रों के माध्यम द्वारा सूचनाओं का आदान प्रदान नहीं होता था।जिसने आज का आम व्यक्ति में सोचने समझने की क्षमता को अत्यधिक विकसित कर दिया है। पहले कभी परिवार का कोई एक व्यक्ति थोडा सा शिक्षित होने पर आसानी से पूरे परिवार पर अपना बर्चस्व बना लेता था।जिसमें उसके क्रिया कलाप परिवार के सभी सदस्यों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए तो होते ही थे,परन्तु कभी कभी अपने स्वार्थ के लिए विभिन्न युक्तियों का प्रयोग भी होता था ,जिन्हें परिवार के अशिक्षित या अल्पशिक्षित सदस्य समझ नहीं पाते थे और शिक्षित व्यक्ति अपनी कुटिल चालों में भी आसानी से सफल हो जाता था। परिवार उसकी चालाकी से अनभिज्ञ रहता था अतः परिवार में कटुता भी नहीं आती थी,परिवार का सयुक्त रूप बना रहता था।परन्तु आज परिवार का प्रत्येक सदस्य उचित ,अनुचित का विश्लेषण कर लेता है और किसी की स्वार्थपूरित चाल को आसानी से समझ लेता है,वह आवश्यकतानुसार उसकी चाल की प्रतिक्रिया भी देता है।उसकी यही प्रतिक्रिया परिवार में बिखराव कारण बन जाती है और संयुक्त परिवार बिखर रहे हैं।संयुक्त परिवार के स्थान पर एकाकी परिवार बनने लगे हैं।परन्तु अफ़सोस की बात है अब तो परिवार में रह गए मात्र दो प्राणी अर्थात पति पत्नी में भी आपसी सम्बन्ध ख़राब होने लगे हैं।उनके संबंधों में प्यार स्नेह और त्याग का लोप होने लगा है,अब वह सिर्फ अपने लिए अपनी भलाई के लिए विचार करता है।जो एक खतरनाक मनोवृति है। अदालतों में निरंतर बढ़ रही तलाक के लिए प्रार्थना पत्रों की संख्या इस बात का प्रमाण है,जो वर्तमान सामाजिक दशा को बताने के लिए पर्याप्त हैं।
अतः यदि वर्तमान समय में हम अपने परिवार को बिखरने से बचाना चाहते हैं,तो सबसे पहले हमें स्वयं को बदलना होगा।परिवार के प्रत्येक सदस्य को आपस में त्याग,ईमानदारी,स्नेह ,स्पष्ट अभिव्यक्ति जैसे गुणों को वरीयता देनी होगी। तत्पश्चात ही परिवार का माहौल सरल और सौहार्द पूर्ण बन सकता है।यदि परिवार का कोई सदस्य अपनी कुटिल चालों को छोड़ने को तैयार नहीं है तो ऐसे परिजन से दूरी बना कर शेष परिजनों के साथ सामंजस्य बनाये रखा जा सकता है।और परिवार की एक जुटता बनी रह सकती है।
निम्न लिखित कुछ आवश्यक आपसी व्यव्हार को अपना कर परिवार को टूटने से बचाए रखा जा सकता है;-
१,परिवार का प्रत्येक सदस्य अपने व्यव्हार में पारदर्शिता रखे ,अर्थात उसका प्रत्येक व्यव्हार में कोई छिपाव,या संदेह करने वाला कार्य न हो।
२,प्रत्येक परिजन के व्यव्हार में ईमानदारी रहनी चाहिए।दुनिया में समाज के साथ कैसा भी व्यव्हार करे यह उसकी इच्छा है परन्तु जब परिवार का मामला हो तो पूर्णतयः ईमानदारी का व्यवहार आवश्यक है।यद्यपि यदि हम अपने पूरी दिनचर्या में ही ईमानदारी ले आयें तो देश और समाज के लिए सर्वश्रेष्ठ होगा।
३,परिवार में कोई बच्चा किसी परीक्षा में असफल हो जाता है,या कोई सदस्य अपने व्यापार में ,अपने कार्यक्षेत्र में नुकसान उठता है उससे कोई भीषण गलती हो जाती है, तो उसे हिम्मत दें, दिलासा दिलाएं और अगली बार सफल होने के लिए प्रेरित करें,उसको सफल होने के लिए आवश्यकतानुसार सहायता करें।आपका यह व्यव्हार आपसी प्रेम और श्रद्धा बढाता है।उसको ताने देना उसकी अक्षमता पर ऊँगली उठाना आपसी वैमनस्य बढ़ाता है।
४,परिवार में कोई भी परिजन छोटा हो या बड़ा उसने कोई अच्छा कार्य किया है तो उसकी खुल कर प्रशंसा करें,उसे बधाई दें।परन्तु उसकी तारीफ़ करते समय अतिश्योक्ति से बचे।अधिक बढ़ चढ़ा कर प्रशंसा करना चापलूसी का द्योतक है।और परिजन को दिग्भ्रमित भी कर सकता है।परन्तु उसकी ख़ुशी में अपनी ख़ुशी अवश्य स्पष्ट करें।
५,यदि स्वयं से कोई त्रुटी हो जाय तो उसे खेद सहित स्वीकार करें और भविष्य में ऐसी गलती न होने का वादा करें।पारिवारिक मामलों में ईगो को कोई स्थान नहीं देना चाहिए।
६,परिवार के किसी सदस्य के हितों की कीमत पर अपना हित साधन न करें। कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय सभी परिजनों की सहमति ,राय अवश्य लें,किसी भी परिजन को तानाशाही पूर्वक कोई निर्णय पूरे परिवार पर थोपने का नहीं चाहिए।
७,परिवार में प्रत्येक परिजन में एक दुसरे के हितों के लिए त्याग की भावना होनी चाहिए।त्याग, धन के रूप में हो सकता है,त्याग, अपनी गलत आदतों का हो सकता है जिससे किसी सदस्य को परेशानी होती हो,त्याग, अपने आलस्य का हो सकता है,जिससे किसी सदस्य को लाभ होता हो।
८,किसी परिजन के अन्दर व्याप्त किसी बुराई को अपने शांत और अच्छे व्यव्हार से बदलने का प्रयास करें।
९,अपने परिवार में सबके सामने अपने विचारों को स्पष्टता के साथ रखें,ताकि किसी के मन में कोई आशंका न रहे।अभिवक्ति में कटु शब्दों से बचें और यथासंभव सभी सदस्यों का सम्मान हो अर्थात किसी को अपमान जनक न लगे।
10, परिवार में बड़ो का सम्मान और अपने से छोटों से स्नेह का व्यव्हार होना चहिये ,प्रत्येक सदस्य को अपनी बात रखने का पर्याप्त मौका मिलना चाहिये।
11,परिवार में सभी सदस्यों को एक दुसरे की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए,सभी को बराबर के अधिकार प्राप्त होने चाहियें।
12,हमारी व्यावसायिक दौड़ अपनी और अपने परिवार की मूल आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए होनी चाहिए।यह दौड़ अपनी एवं अपने परिवार की सीमाओं को देखते हुए होनी चाहिए,असीमित भाग दौड़ परिवार के लिए कष्टकारी हो सकती है।उन्नति के लिए मेहनत,भरसक प्रयास करना उचित है और आवश्यक भी, परन्तु उन्हें पाने के लिए अपने जीवन ,अपने परिवार और अपने समाज की उपेक्षा करना विकृतियाँ पैदा करता है,और परिवार को कष्ट में डालता है।
यदि प्रत्येक परिवार में प्रत्येक सदस्य उपरोक्त नियमों का पालन करे, तो निश्चय ही परिवार में सुख शांति का साम्राज्य होगा ,यदि एक परिवार सुधरता है,एक एक कर पूरा समाज सुधरता है,और फिर देश सुधरता है। समाज में पनप रही अराजकता का भी अंत होना संभव हो जायेगा। आज के युग में आम आदमी संवेदनहीनता के दंश झेलने से बच जाएगा।

मेरे नवीनतम लेख अब वेबसाइट WWW.JARASOCHIYE.COM पर भी उपलब्ध

हैं,साईट पर आपका स्वागत है.FROM  APRIL2016

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