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उज्जवल भविष्य की ओर हिंदी ब्लॉगिंग(कांटेस्ट)

jara sochiye
jara sochiye
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विकास शील और गरीब देश होने के कारण हमारे देश में किसी भी तकनीक को अपनाने में समय लगता है.इसी कारण जो कम्प्यूटर तकनीक विकसित देशों में दो दशक पूर्व ही सामान्य तौर पर रच बस गयी थी. हमारे देश में आज भी कम्प्यूटर का चलन धीरे धीरे बढ़ रहा है.हमारे देश में अभी कम्प्यूटर धारक मात्र छः करोड़ के करीब हैं जो पूरे विश्व में ३.५ %हिस्सेदारी बनती है,जबकि अमेरिका जैसे विकसित देश में विश्व के 19.4 %कम्प्यूटर धारक हैं.जैसे जैसे देश में कम्प्यूटर धारकों की संख्या बढ़ेगी निश्चित रूप से क्षेत्रीय भाषाओँ का बर्चस्व भी बढेगा और हिंदी ब्लोगिंग की लोकप्रियता भी बढ़ेगी। KPCB (इंटरनेट से प्राप्त आंकड़े) की रिपोर्ट के अनुसार भारत में जून 2012 में कुल इंटरनेट यूजर 13 करोड़ 70 लाख थे,जो प्रतिवर्ष २६%की दर से बढ़ रहे हैं.
हिंदी ब्लोगिंग को 2007 में हिंदी ब्लोगिंग को पंख लग गए जब कुछ इंटरनेट सर्वर ने ब्लोगर्स को अंग्रेजी के की बोर्ड से हिंदी में लिखने की सुविधा उपलब्ध करायी।ट्रांसलिट्रेशन नामक सॉफ्टवेयर से अंग्रेजी के की बोर्ड की मदद से हिंदी में लिखने की क्षमता विकसित कर दी.और अब हिंदी में ब्लॉग लिखना आसान हो गया.हिंदी ब्लोगिंग अभी अपने शैशव अवस्था में है,परन्तु जिस प्रकार से कम्प्यूटर का प्रचार प्रसार बढ़ रहा है हिंदी ब्लॉग का प्रचार प्रसार भी बढेगा।देश की राष्ट्र भाषा होने के कारण, जिसे देश के अधिकतम नागरिक समझ और बोल पाते हैं,अन्य क्षेत्रीय भाषाओँ के मुकाबले ,हिंदी ब्लोगिंग का भविष्य भी सुनहरा है.
यद्यपि आज भी अनेक हिंदी ब्लोगिंग साइट्स अपनी लोकप्रियता में अपने शीर्ष पर हैं,और हिंदी ब्लोगिंग की लोकप्रियता बढती जा रही है,परन्तु अंग्रेजी ब्लोग्स के मुकाबले, (जो पूरी दुनिया में प्रचारित प्रसारित हैं,और उसका पाठक वर्ग पूरी दुनिया में हैं) अभी बहुत पीछे है.सिर्फ दुनिया में ही नहीं भारत में भी अभी अंग्रेजी ब्लॉग,हिंदी ब्लॉग के मुकाबले अधिक लोकप्रिय हैं.उसके मुख्य कारण यह भी है की हमारे देश में अभी तक इंटरनेट यूजर अधिकतम हाई प्रोफाइल वाले व्यक्ति हैं,जो अंग्रेजी के पुजारी है और उनके अनुसार हिंदी में पत्रकारिता हो या ब्लोगिंग,(चंद प्रतिष्ठित समाचार पत्रों को छोड़ कर) आज भी आधी अधूरी जानकारी एवं तथ्यों के साथ रचनाएँ प्रकाशित होती हैं,अर्थात उनमे उच्च गुणवत्ता का अभाव बना हुआ है.जो हिंदी ब्लोगिंग को लोकप्रिय होने में बाधक बन रही है.
हमारा देश समस्याओं से भरा देश है, जिसमे देश का प्रत्येक नागरिक, मुख्यतया युवक आक्रोशित है ,वह अपने आक्रोश को हिंदी साहित्य मंच यानि पत्र-पत्रिकाओं और ब्लॉग के जरिये निकालने का प्रयास करता है.यही मुख्य कारण है की हिंदी साहित्य से सम्बद्ध प्रकाशकों को बेशुमार रचनाएँ मुफ्त में उपलब्ध हो जाती हैं.रचनाकारों की इसी मजबूरी का लाभ प्रकाशक उठाते हैं.परन्तु उनकी यह मानसिकता हिंदी साहित्य का अहित भी कर रही है,और हिंदी साहित्य को उच्च स्तरीय गुणवत्ता की रचनाएँ उपलब्ध नहीं हो पातीं।सिर्फ आक्रोश व्यक्त करने वाले रचनाकार समस्याओं का उल्लेख तो करते है परन्तु उनका समाधान खोजने का प्रयास नहीं करते,उनके रचना लिखने के उद्देश्य में समाज सुधार की भावना का अभाव बना रहता है. किसी भी प्रकार की रचना,सामग्री चाहे वह गद्य में या पद्य में गुणवत्ता लाने के लिए शोध करने की आवश्यकता होती है जिसको पाने के लिए धन,समय और श्रम की आवश्यकता होती है
हमें हिंदी ब्लोगिंग को लोकप्रिय बनाने के लिए,अंग्रेजी की ब्लोगिंग से टक्कर लेने के लिए, ब्लॉग में उच्च गुणवत्ता को प्रोत्साहित करना होगा। हिंदी ब्लॉग के रचना कारों को तथ्य परक,गहन सूचना परक, उच्च गुणवत्ता वाले ब्लॉग तैयार करने के लिए प्रेरित करना होगा।यह तो निश्चित है यदि ब्लोगिंग में उच्च गुणवत्ता लानी है तो उसके लिए ब्लोगर को अतिरिक्त धन व्यय करना होगा,उन्हें अधिक श्रम अधिक समय और अधिक प्रयासों को अंजाम देना होगा।यदि ब्लोगर मात्र हॉबी(शौक या समय पास ) के लिए ब्लॉग लिखता है तो उसके लिए उस पर अतिरिक्त व्यय करना संभव नहीं होता।अतः जो ब्लोगर लोकप्रिय हैं,उच्च गुणवत्ता वाले ब्लॉग लिखने की क्षमता रखते हैं उन्हें उचित पारिश्रमिक की व्यवस्था होनी चाहिए।ब्लॉग साइट्स के संचालकों को अपनी कमाई के साथ साथ ब्लोगेर्स के हित में भी सोचना होगा।कम से कम ब्लॉग बनाने में उनके द्वारा किया गया खर्च तो मिलना ही चाहिए,ताकि कालांतर में वे ब्लोगिंग को व्यवसाय के रूप में अपना सकें,और हिंदी साहित्य को विश्वपटल पर उच्च स्तरीय साहित्य के रूप में प्रस्तुत कर सकें।

मेरे नवीनतम लेख अब वेबसाइट WWW.JARASOCHIYE.COM पर भी उपलब्ध

हैं,साईट पर आपका स्वागत है.FROM  APRIL2016

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