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विवादों के घेरे में “आप” पार्टी

jara sochiye
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बहुत दिनों पश्चात् देश को अन्ना हजारे के रूप में एक ऐसा संत मिला जो देश के कल्याण को प्रतिबद्ध है,पूर्णतया समर्पित है।जिन्होंने देश भर में फ़ैल रही अराजकता और भ्रष्टाचार के विरुद्ध अपनी आवाज उठायी और जनता को एक मंच पर एकत्र किया,अनेक बार अपने अनशन और आंदोलनों द्वारा राजनेताओं,प्रशासकों को जनहित में कानून बनाने को मजबूर किया। पूरे देश की जनता ने समय समय पर उनको भरपूर समर्थन दिया। परन्तु हमारे देश कि सत्ता पर कबिज नेताओं ने उनके आंदोलन को अपनी चाणक्य निती से प्रभावहीन कर दिया।उन्होंने बार बार अन्ना जी को उकसाया यदि वे देश कि व्यवस्था को बदलना ही चाहते है तो स्वयं राजनिति में आयें और वैधानिक रूप से चुनाव लड़कर अपने प्रतिनिधि संसद में भेजे,सत्ता संभालें और कानून बनाकर देश को अपने सिद्धांतो के अनुसार चलायें।यद्यपि उन पर शासक दल ने उनकी लोकप्रियता को हाशिये पर लाने के लिए अनेक आरोप लगाये और उन्हें बदनाम करने के प्रयास किये गए, परन्तु अन्ना जी ठहरे फक्कड़ संत, अतः वे उनके विरुद्ध कुछ भी सिद्ध नहीं कर पाये, सारे आरोप बेबुनियाद साबित हुए.
अन्ना आंदोलन से जुड़े कुछ व्यक्तियों ने अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व में वर्त्तमान नेताओं को पराजित करने और उनकी चुनौती को स्वीकार करते हुए *आम आदमी पार्टी* के नाम से एक पार्टी का गठन कर डाला।और सबसे पहले दिल्ली विधानसभा पर अधिपत्य ज़माने के लिए अपनी सारी शक्ति लगा दी है। तत्पश्चात ही देश के अन्य प्रदेशों कि और रुख किया जायेगा। शायद यह देश का दुर्भाग्य है कि अन्ना जी ने अरविन्द केजरीवाल कि पार्टी को अपना समर्थन नहीं दिया और पार्टी को अपने नाम से भी दूर कर दिया। जबकि आप पार्टी उनके बताये गए मार्ग और सिद्धांतों को आधार लेकर ही अपनी पार्टी का अस्तित्व मानती है. उससे भी अफसोसनाक बात यह है कि अन्ना समर्थक “आप” का विरोध करते देखे जा रहे है.
यह बात तो कटु सत्य है कि देश कि वर्त्तमान राजनिति कीचड भरी है ,परन्तु यदि कोई शालीन व्यक्ति राजनिति में नहीं आयेगा अर्थात तथाकथित कीचड में नहीं उतरेगा, तो राजनिति में व्याप्त गंदगी को दूर कौन करेगा ? क्या मात्र आंदोलन से,आमरण अनशन से सारी समस्याओं का समाधान सम्भव है? भ्रष्टाचार से जनता को निजात मिल सकती है?अन्ना जी द्वारा प्रस्तावित जनलोकपाल कानून लाया जा सकता है? अन्ना जी द्वारा किये गए अनेक बार अनशन और आंदोलनों से प्राप्त अनुभव तो यही कहता है कि वर्त्तमान नेताओं ,वर्त्तमान शासकों पर आंदोलनों और अनशन का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।उनके लिए एक जनलोकप्रिय नेता के जीवन कि भी कोई कीमत नहीं है. अतः उन्हें सत्ता से उखाड़ फैंकना ही एक मात्र विकल्प बचता है. इसी उद्देश्य को पूरा करने का संकल्प लेकर “आम आदमी पार्टी” जनता के समक्ष आयी है.और “आप” के नेता अरविन्द केजरीवाल को यह भी पता है कि राजनीति की कीचड को साफ़ करना कोई आसान नहीं है.परन्तु दृढ संकल्प और जनता के रुख को देखते हुए यह सब कुछ असम्भव भी नहीं लगता।
गत दिनों विभिन्न सर्वे एजन्सियों द्वारा कराये गए सर्वेक्षण से प्राप्त नतीजो में जिसमें निरंतर “आप” पार्टी की लोकप्रियता का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है,ने सभी राजनैतिक दलों कि नींद उड़ा दी है.अब उन्हें कोई बराबर कि टक्कर देने वाला दिखायी देने लगा है,अब उन्हें अपनी जीत संदिग्ध लगने लगी है। इसलिए वे बौखलाने लगे हैं और अब वे “आप” को बदनाम करने के उपाय अपनाने को मजबूर हो रहे हैं.हाल ही में आये सी डी प्रकरण इसी का उदहारण है,.उल्लेखनीय है कि भ्रष्टाचार का खात्मा करने का दावा करने वाली “आम आदमी पार्टी” के सदस्यों को ही कथित तौर पर किए गए स्टिंग ऑपरेशन की सीडी में भ्रष्टाचार में लिप्त दिखाया गया है। इस सीडी में “आप” के सदस्यों को अवैध तरीके से धन लेते हुए दिखाया गया है। हालांकि आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अरविंद केजरीवाल इस सीडी को विरोधी दलों की साजिश करार दे रहे हैं। इतना ही नहीं अरविंद केजरीवाल का तो यह तक कहना है कि “आप” को बदनाम करने के लिए मीडिया में भी पैसे बांटे गए हैं। जबकि दूसरी ओर सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्षी पार्टियां “आम आदमी पार्टी” पर लगे सभी आरोपों को सही ठहरा रही हैं।”आप” के नेता अरविंद केजरीवाल के अनुसार जिस सीडी का यहां उल्लेख किया जा रहा है उसमें काट-छांट की गई है ताकि भ्रष्टाचार होते दिखाया जा सके। मीडिया पर भी निशाना साधते हुए केजरीवाल का कहना है कि ‘आप’ को बदनाम करने के लिए मीडिया में भी 1400 करोड़ जैसी भारी रकम बांटी गई है।जैसा कि अक्सर होता आया है जो सर्वाधिक ईमानदार व्यक्ति होता है उसे ही भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ता है और दण्डित भी होना पड़ता है, क्योंकि भ्रष्ट व्यक्ति तो भ्रष्ट कार्य करके अपने बचाव के लिए भी भ्रष्टाचार द्वारा अपने को पाक साफ़ सिद्ध कर लेता है.
अब प्रश्न यह उठता है जो पार्टियां स्वयं अरबों रूपए के घोटलों में निरंतर फंसती आ रही हैं वही पार्टियां केजरीवाल को भ्रष्ट दर्शा कर अपने दामन को बड़ी बेशर्मी से पाक साफ़ बताने कि कोशिश में लगी हैं.यद्यपि उनके द्वारा उद्घाटित सीडी का प्रकरण भी एक छल ही सिद्ध होगा। परन्तु चुनाव के मौके पर इस प्रकार के आरोप लगा कर जनता कि नजरों में उनकी छवि को धूमिल कर चुनाव में जीत सुनिश्चित करने कि तुच्छ राजनिति अपनायी जा रही है.आज जनता भी वर्त्तमान राजनेताओं की कुचालों को भली भांति समझने लगी है, अतः उनकी चाल कामयाब होने वाली नहीं है.और अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व में “आप”पार्टी को दिल्ली में होने वाले विधान सभा चुनावों जनता का भरपूर समर्थन मिलेगा।
आप पार्टी को जनता का समर्थन मिलने के अनेक विशेष कारण भी हैं.
*आप पार्टी कि और से लड़ने वाले प्रत्येक प्रत्याशी का चरित्र साफ़ स्वच्छ है,वह कभी भी गैर कानूनी कार्यों या अपराधों में लिप्त नहीं रहा है.
*आप पार्टी के नेताओं कि नियत जनसेवा,और देश सेवा है न कि स्वयं धनकुबेर बनने की चाह.
*आप पार्टी एक नयी पार्टी है चरित्रवान लोगों कि पार्टी है और इसके सदस्यों का अतीत जनता को या देश को लूटने का नहीं रहा है.
*आप पार्टी के नेताओं के पास जनता कि समस्याओं के समाधान के लिए ईमानदार विकल्प मौजूद हैं.और जनता को साथ लेकर उनकी भावनाओं के अनुसार,उसकी आवश्यकताओं के अनुसार चलने का साहस है.
अतः आशा की जानी चाहिए आम आदमी पार्टी दिल्ली में पूर्ण बहुमत प्राप्त कर सत्ता में आए और जनता की आकांक्षाओं को पूर्ण करे.और तत्पश्चात देश का कल्याण करे.

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