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क्या केजरीवाल मोदी के लिए चुनौती साबित होंगे?(जागरण जंक्शन फोरम )

jara sochiye
jara sochiye
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हाल ही में हुए दिल्ली विधान सभा के नवोदित पार्टी आम आदमी पार्टी यानि ‘आप’ के पक्ष में गए, अप्रत्याशित चुनाव परिणामों से देश की जनता हतप्रभ है और उत्साहित भी. इन नतीजों ने एक तरफ तो कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया है,वहीँ दूसरी तरफ भा. ज. पा. को भी पर्याप्त चुनौती दी है.उसे बहुमत लायक भी सीटें नसीब नहीं हो पायीं,जबकी शेष सभी राज्यों में मिजोरम को छोड़ कर, भा.jज.पा.की लहर दिखाई दी.जहाँ वह भारी बहुमत से सरकार बनाने में कामयाब हुई.जिस प्रकार जनता की परेशानियों,समस्याओं को, जैसे भ्रष्टाचार, बिजली, पानी, बढ़ते अपराध इत्यादि, को चुनाव के मुद्दे बना कर ‘आप’ पार्टी ने चुनाव लड़ा है, इस प्रकार से स्वतन्त्र भारत के इतिहास में किसी पार्टी ने चुनाव नहीं लड़ा. “आप” पार्टी के पक्ष में जनता की भारी रूचि से स्पष्ट होता है की जनता किस प्रकार से वर्तमान राजनेताओं से त्रस्त है.
व्यवस्था के विरुद्ध जन समर्थन के कारण सभी राष्ट्रिय पार्टियाँ १०१४ में होने वाले चुनावो को लेकर भयभीत हैं.अब वे कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना चाहती जिससे जनता में किसी भी प्रकार से भ्रष्ट आचरण की बू आये. यही वजह है की भा. ज. पा. सिर्फ चार विधायकों की कमी भी पूरी करने में अपने को असमर्थ पा रही है.क्योंकि उसे डर है की यदि जोड़ तोड़ कर कुछ विधायक अपने पक्ष में करके सरकार बना भी ली तो विपक्ष में ‘आप’ पार्टी के रहते विधायकों को खरीदने की रकम भी वसूल कर पाना संभव नहीं दीखता और अगले आम चुनावो को देखते हुए जनता में गलत सन्देश जाने की सम्भावना है.अतः वे किसी भी प्रकार से जोखिम नहीं लेना चाहते.
जहाँ तक आगामी लोकसभा चुनावों का प्रश्न है,कांग्रेस के सत्ता में आने की सम्भावना नं के बराबर है,मुख्य विपक्षी पार्टी भा. ज. पा. को ‘आप’ पार्टी से कड़ी टक्कर मिलने वाली है इसमें कोई दो राय नहीं हो सकतीं.मोदी और केजरीवाल जो प्रधान मंत्री के मुख्य दावेदार माने जा रहे हैं.दोनों ही सक्षम और योग्य उम्मीदवार हैं,उनके व्यक्तितित्व का विश्लेषण निम्न प्रकार किया जा सकता है
नरेंद्र मोदी
• अपनी इमानदार छवि के लिए जाने जाते हैं,उनके पास गुजरात में स्वच्छ एवं कुशल शासन चलाने का लम्बा अनुभव है,
• विकास के लिए उनकी दूरदर्शिता किसी से छिपी नहीं है,
• गत विधान सभा के चुनावो उनके चुनाव प्रचार के कारण सभी राज्यों में मिली सफलता से जनता में उनकी लोकप्रियता सिद्ध हो गयी है.
• वे युवा नहीं हैं तो भी वृद्ध भी नहीं हैं अतः कार्य क्षमता में कोई कमी नहीं है,बल्कि उम्र के अनुसार व्यापक जीवन अनुभव है.
• देश कि जनता भा.ज.पा को चाहे या न चाहे मोदी जी को अवश्य प्रधानमंत्री के रूप में देखने की अभिलाषी है.
• मोदी देश भक्ति और देश की जनता के प्रति समर्पण की भावना से ओत प्रोत हैं.
अरविन्द केजरीवाल
• तेजी से उभरी आम आदमी पार्टी के नेता हैं,जिसने बहुत ही कम समय में जनता के समक्ष अपनी पैठ बनायीं है.
• उनकी नेक नियति और देश की जनता के कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता में कोई संदेह नहीं है.सुशासन की कल्पना को लेकर राजनीती में आये हैं,वे राजनीती को कमाई का जरिया नहीं मानते.
• केजरीवाल एक युवा नेता हैं, ऊर्जावान व्यक्ति हैं, मेधावी व्यक्ततित्व वाले इंसान हैं.
• केजरीवाल को अभी किसी राष्ट्रिय पार्टी का नेता नहीं कहा जा सकता,(क्योंकि आम आदमी पार्टी का अस्तित्व सिर्फ दिल्ली तक ही सीमित है) ,जो प्रधानमंत्री के लिए आम तौर पर मुख्य शर्त होती है.
• अभी तक उन्हें कोई भी सरकार चलाने का अनुभव नहीं है.
• राष्ट्रिय स्तर पर अभी उनकी पहचान बनना बाकी है.
दोनों नेताओं के व्यक्तितित्व का विश्लेषण करने से ज्ञात होता है की देश के अगले प्रधानमंत्री के वर्त्तमान परिस्थितियों के अनुसार नरेंद्र मोदी को ही प्रधामंत्री बनना चाहिए,और केजरीवाल को विपक्ष में बैठ कर महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए और प्रशासन का अनुभव लेना चाहिए. जनता भी स्थानीय मुद्दों और राष्ट्रिय मुद्दों को अलग अलग परिपेक्ष में देखती है.अतः राष्ट्रिय स्तर पर वह भा. ज. पा. को ही जीतते हुए देखना चाहेगी.यद्यपि आम आदमी पार्टी को लोकसभा में एक सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाने का अवसर भी मिलेगा.देश की जनता को किसी भी पार्टी से एलर्जी नहीं है यदि वह जनता के हित में देश के विकास कार्य करे,और जनता को भ्रष्टाचार मुक्त,अपराध मुक्त सुशासन दे .यदि सदन में ‘आप’ पार्टी विद्यमान रहेगी और जागरूकता के साथ कार्य करेगी तो अवश्य ही देश को सुशासन मिल सकेगा.क्योंकि वह सरकार के प्रत्येक कार्य पर अपनी तीखी निगाह रखेगी और जनहित में कार्यों को अंजाम देने को मजबूर करेगी.
निष्कर्ष स्वरूप अरविन्द केजरीवाल की पार्टी प्रमुख विपक्षी पार्टी के रूप में तो उभरेगी परन्तु सत्ता में आने की सम्भावना बहुत कम है,और यही देश के हित में भी है.अरविन्द केजरीवाल भविष्य के प्रधान मंत्री हो सकते है इसमें कोई संशय नहीं है परन्तु फ़िलहाल वे सदन में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराएँगे.यदि देश का शासन स्वच्छता की ओर बढ़ता है तो भविष्य में अन्ना जी का सपना पूरा होने की पूरी पूरी उम्मीद हो जाएगी

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