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सोशल साईट से भ्रमित न हों

jara sochiye
jara sochiye
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आधुनिकता के वर्तमान दौर में हमारा सामाजिक दायरा धीरे धीरे घटता जा रहा है,शहरी बस्तियों में आपसदारी (मोहल्लेदारी), गाँव में अपनापन अब नहीं रहा. सभी लोग रिजर्व रहने लगे हैं,बड़े बड़े शहरों में तो पडोसी पडोसी को पहचानता भी नहीं,एक ही बिल्डिंग में रह रहे ऊपर या नीचे रहने वाले को भी नहीं जानते,सब लोग अपने काम से काम रखते हैं या इतने व्यस्त होते हैं की उन्हें पडोसी के लिए समय ही नहीं होता.कुछ लोग समाज के इस बदले व्यव्हार के लिए विकास को ही जिम्मेदार मानते हैं,उनका कहना है पहले आम और पर सभी का सहन सहन बराबर सा ही था गावों में साईकिल वाहन के रूप में प्रयोग होती थी, सोने के लिए खाट, बैठने के लिए मूढे, चूल्हे पर रोटी पकाना, हैण्ड पम्प से पानी खींचना, साधारण से पक्के मकान होते थे. इसी प्रकार से शहरों में भी सभी रहन सहन एक सा ही होते था.परन्तु आज अनेक सुविधाओं,उपलब्धियों ने हम सब के बीच जीवन शैली में काफी अंतर कर दिया है.किस के पास आज भी साईकिल ही है, तो किसी के पास स्कूटर,किसी के पास कार है, तो किसी दुसरे के पास कार भी एक एक से महँगी गाड़ियाँ हैं, तो किसी के पास अनेक गाड़ियाँ है,इसी प्रकार मकान के साइज़ उनकी बनावट उनमे उपलब्ध सुविधाएँ एक से एक उन्नत किस्म की हैं जिसकी शायद अन्य व्यक्ति कल्पना भी नहीं कर सकता. किसी का स्तर शायद पुराने ज़माने के अनुसार ही आज भी है तो किसी के पास अनेक प्रकार की सभी आधुनिक सुविधाएँ मौजूद हैं.यह भी कहा जा सकता है की कोई राजा भोज तो कोई गंगू तेली दीखता है.यही जीवनस्तर का अंतर आम आदमी की दूरियों का कारण बन रहा है.जिसके पास अधिक साधन है वह कम साधन संपन्न लोगों से मिलना जुलना पसंद नहीं करता तो कम स्तरीय व्यक्ति ऊंचे स्तरीय लोगो से संपर्क रखने में शर्म अनुभव करता है. अतः उनसे मिलना अपने आत्मसम्मान का अपमान मानता है, उसे हीन भाव का अहसास होता है. और अधिक संपन्न व्यक्तियों से दूरी बना लेता है.
दूसरी ओर एक नए समाज ने जन्म ले लिया है वह है वर्चुअल समाज अर्थात सोशल साईट जैसे फेसबुक,ट्वीटर,ब्लॉग साइट्स,व्हाट्सअप,वी चैट इत्यादि पर बनने वाला समाज,मित्र समूह. आज का युवक इसी समाज को अपना सर्किल मानता है,जिसके जितने अधिक दोस्त वह उतना अधिक सामाजिक. कंप्यूटर के समक्ष घंटों तक अपने वर्चुअल फ्रेंड्स के संपर्क में रहते है और उन्हें ही अपना परिवार,अपना समाज मानने लगते हैं.वहां पर अपने मित्रों से सिर्फ अपने विचारों का मिलान करते हैं,कभी कभी तो उम्र का भी कोई फर्क नहीं पड़ता. अब उन्हें बड़े जीवन स्तर या छोटे जीवन स्तर से कोई फर्क नहीं पड़ता,क्योंकि कोई भी एक दूसरे के जीवन स्तर से परिचित नहीं होता.
परन्तु यह वर्चुअल समाज एक भ्रम है जो वास्तव में आपके दोस्त नहीं है उन्हें यदि काल्पनिक दोस्त कहा जाय तो अधिक उचित होगा.वे मात्र समय पास का जरिया हैं जब तक आप साईट खोल कर वार्तालाप कर रहे हैं वे आपके दोस्त बने हुए हैं जब आप किसी मुसीबत में हैं,आप साईट नहीं खोल पा रहे हैं तो कोई भी आपसे पूछने नहीं आयेगा की आप के साथ क्या चल रहा है,वह आपसे कभी नहीं कहेगा की आपकी मैं क्या मदद कर सकता हूँ.शायद कोई एकाध ऐसा दोस्त होगा जो आपसे फोन से संपर्क करेगा और आपके हाल चाल पूछेगा.यहाँ तक आपके जीवन के अंत होने की खबर भी शायद ही उन्हें मिल पाए या वे आपके परिवार में किसी शोकाकुल समय आपके साथ हों.अतः किसी को भी भ्रम नहीं पालना चाहिए की उसके पास बहुत बड़ा मित्र मंडल है और आप बहुत ही सामाजिक है.आपके बहुत से कद्र दान हैं जो आपके हितैषी है आपके प्रशंसक हैं
सोशल साईट बनाये गए दोस्त अधिकतर आपसे परिचित नहीं होते और हो सकता है जो कुछ भी उन्होंने अपने बारे में बताया हो वह सब मिथ्या हो.आज ख़बरों में अक्सर सुनने को मिल जाता है की फेसबुक पर लड़का लड़की ने प्रेम की पींगे बढाई और उनका अंत बहुत ही दर्दनाक हुआ,अनेक प्रेमियों ने उनके साथ हुए धोके से निराश होकर आत्महत्या कर ली.इसी प्रकार से आपके तथाकथित दोस्त अपराधी भी हो सकते है जिन्हें आपने आमने सामने कभी नहीं देखा,आमने सामने कोई वार्तालाप नहीं किया.उसने अपने बारे में आपको कितनी जानकारी सही दी है और कितनी मिथ्या, आप सत्यापित नहीं कर सकते. अतः उसके बारे में आपकी जानकारी भ्रम पूर्ण हो सकती है .हो सकता है कोई दोस्त अपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहता हो ,आतंकवादियों से जुड़ा हो और आपके लिए भविष्य में परेशानी का कारण बने या आपके साथ कुछ धोखे बाजी कर आपको नुकसान पहुंचा दे. शायद वह आपका भरोसा जीत कर आपको आर्थिक या शारीरिक नुकसान पहुँचाने की साजिश रच दे.हो सकता है वर्चुअल साईट से प्राप्त मित्र को बिना उचित जाँच पड़ताल के अपना जीवन साथी बनाने पर आपको धोखा ही हाथ लगे.
अतः जब आप किसी व्यक्ति को जो सोशल साईट पर अपने मित्र बनाते हैं,जब तक आप उन्हें व्यक्तिगत रूप से परिचित न हों,उन पर बहुत अधिक भरोसा नहीं करना चाहिए.उसे अपने व्यक्तिगत जानकारियां देने से बचना चाहिए.सोशल साईट पर बने दोस्तों(जिनको आप व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते ) को सिर्फ जानकारी लेने का माध्यम या टाइम पास ही समझा जाय तो अधिक उचित होगा.

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