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आज इन्सान की तार्किक शक्ति इतनी अधिक बढ़ गयी है,वह सुख सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाता है,अपनी इच्छाओं की पूर्ती के लिए वह छल कपट,भ्रष्ट सभी तरीके प्रयोग में लाता है,हालत यहाँ तक् पहुँच गए हैं की यदि कोई अपने व्यव्हार को निश्छल,निष्कपट पारदर्शी रखना चाहे तो उसके लिए असंभव होता जा रहा है क्योंकि यदि वह अपने सिद्धांतो पर टिका रहता है तो दुनिया उसे पीछे धकेल देगी और सिद्ध कर देगी की वह वर्तमान युग में अनफिट है.आज अनैतिक व्यव्हार योग्यता की पहचान बनते जा रहे हैं.
मेरा स्वयं का अनुभव भी कुछ ऐसा ही रहा है,आज का नौजवान मुझे पिछले ज़माने का व्यक्ति कहकर मजाक बना सकता है.परन्तु प्रत्येक व्यक्ति का अपना एक अलग व्यक्तित्व होता है,उसकी अपनी सीमायें होती हैं,उसके अपने सिद्धांत होते हैं,उसकी अपनी मर्यादाएं हो सकती हैं.मूल रूप से देखा जाय तो सिद्धांत,और नैतिकता के कारण ही मानव विकास संभव है उनके (सिद्धांतों) महत्त्व को आज भी नकारा नहीं जा सकता.नैतिकता के बिना मानव विकास अवरुद्ध हो जायेगा.
आश्चर्य की बात तो यह है की आज जितने भी अनैतिक कार्य होते हैं उन्हें करने के लिए भी इमानदारी,बफादारी की आवश्यकता होती है, कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं;
१,रिश्वत लेना और देना गैर कानूनी और अनैतिक कार्य है परन्तु उसको करने के लिए भी एक इमानदारी की और अपने समझौते के प्रति बफादारी दिखानी पड़ती है,या ये कहें दिखाई जाती है रिश्वत लेने वाला पूरी इमानदारी से दूसरे पक्ष के कार्य को अंजाम देता है उसके हितों का ध्यान रखता है.
२,एक व्यक्ति जो तस्करी करता है या अवैध व्यापर करता है अपने व्यव्हार में पूरी ईमानदारी बरतता है उसके यहाँ कोई भूल चूक या लापरवाही नहीं होती और दिए गए समय पर माल पहुँचाना या धन का बंदोबस्त करना उसकी प्राथमिकता में होता है,अतः वह भी अपने सिद्धांतों का पालन करता है.
३,सड़क पर चलने वाला चाहे कितना भी दुष्ट प्रकृति का हो यदि उसे सही सलामत अपने गंतव्य तक पहुंचना है तो यातायात के नियमों का पालन करना ही होता है, अन्यथा आपस में टकरा कर जीवन भी गवां सकता है या घायल हो सकता है.अतः सिद्धांतो और नियमों को अपनाये बिना उसका जीवन भी असुरक्षित हो जाता है.
४,व्यापारी कितना भी क्रूर हो,धनवान हो,या पहुँच रखने वाला नेता हो उसे अपने ग्राहकों के हितों का ध्यान रखना ही पड़ेगा.ग्राहक के साथ अन्याय करके वह कभी भी व्यापार में सफल नहीं हो सकता.गुंडा गर्दी,बेईमानी या दुष्टता से व्यापर में कभी भी उन्नति नहीं हो सकती.अतः व्यापार के सिद्धांतों को अपनाये बिना व्यापार करना संभव नहीं है.
उपरोक्त उदाहरण सिद्ध करते हैं की भले ही इन्सान कितना भी अपने सिद्धांतो से भटक जाये फिर भी उसे कहीं न कहीं नियमों और सिद्धांतो को अपनाना ही पड़ता है,वैसे भी छल कपट बेईमानी से क्षणिक लाभ तो हो सकता है परन्तु दीर्घ काल तक सफलता नहीं मिल सकती,इसीलिए प्रत्येक कामयाब व्यक्ति के पीछे उसकी इमानदारी और सिद्धांतो के प्रति दृढ़ता ही होती है.
कहते हैं जो व्यक्ति अपनी नजरों से गिर जाय वह कभी भी आत्म संतोष नहीं पा सकता,सिर्फ ईमानदार,निश्छल,निष्कपट ही अपनी नजरों में महान बना रहता है और मन में शांति बनी रहती है.यद्यपि सिद्धांतों और आदर्शों पर चलना कोई आसान काम नहीं है,उसे अनेक बार हताश होना पड़ता है व्यथित होना पड़ता है,निष्ठुर ज़माने के थपेड़े खाने पड़ते हैं,शायद अपने संगी साथियों से कमाई में सबसे पीछे रह जाए, परन्तु अपने पारदर्शी एवं ईमानदार व्यव्हार के कारण मानसिक तनाव से बहुत दूर रहता है.और आत्मविश्वास से भरपूर रहता है.अतः जमाना कितना भी अनैतिक कार्यों में लिप्त हो जाये, सिद्धांतों पर चलने का महत्त्व हमेशा बना रहेगा और आत्मसंतोष का माध्यम भी.
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