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आज इन्सान अपने विकास और प्रतिद्वंद्विता के महत्त्व पूर्ण मोड़ पर खड़ा है.प्रत्येक स्तर पर बढ़ रही प्रतिद्वंद्विता ने जहाँ महत्वकांक्षी ,मेहनती,और सक्षम लोगों को आगे बढ़ने का मौका दिया है वही परंपरागत जीवन शैली में ही संतुष्ट जीवन जीने वालों के लिए चुनौतियाँ पैदा कर दी हैं.जो जीवन शैली कभी बड़ी शान का द्योतक होती थी, उसी जीवन शैली में जीवन यापन करने वाले आज निम्न स्तरीय जीवन शैली में जीने वाले माने जाते हैं.अर्थात जो कभी सम्पन्न व्यक्तियों की श्रेणी में गिने जाते थे आज के दौर में उनकी गिनती मध्यम वर्ग में होने लगती है.और मध्यम वर्गीय, निम्न वर्गीय श्रेणी में गिने जाने लगते हैं.अतः समय के साथ साथ साधन जुटाना आवश्यक हो जाता है. यदि उनके आर्थिक स्रोत बढ़ नहीं पा रहे हैं,नए साधनों को अपनाने के लिये आर्थिक रूप से समर्थ नहीं हैं तो वे भविष्य में अपने को निरंतर निम्न से निम्न स्तर पर गिरता हुआ देखते हैं
मानव विकास की गति इतनी तीव्र हो गयी है, जो व्यक्ति आधुनिक साधनों को नहीं अपनाते हैं या उन्हें प्राप्त करने के अक्षम है,तो स्वयं को गरीबी के स्तर पर पाते हैं.क्योंकि यदि कोई स्कूटर रखने वाला कार रखने की क्षमता विकसित नहीं कर पाता तो वह कार वालों की भीड़ में दब जाने को मजबूर होगा, रेडियो टी.वी.तक सीमित रहने वाला व्यक्ति कंप्यूटर की ओर नहीं बढ़ता उसके बारे में जानकारी प्राप्त नहीं कर पाता तो वह पिछड़ा और अशिक्षित व्यक्तियों की श्रेणी में आ जाता है.जीवन के हर क्षेत्र में इसी प्रकार से (जीवन शैली) तीव्र परिवर्तन आ रहा है.सभी आधुनिक सुविधाओं से संपन्न व्यक्ति ही सफल,और वैभवशाली व्यक्तियों की श्रेणी में गिना जाता है. जीवन में सफल होने के लिए,निरंतर आगे बढ़ने के लिए,जहाँ पारिवारिक स्थितियों का अनुकूल होना तो आवश्यक है ही,कार्यशील सदस्य का तन और मन से स्वास्थ्य होना भी आवश्यक है.एक विकलांग व्यक्ति जो शारीरिक रूप से अक्षम है सामान्य जीवन जी पाने से भी मजबूर है तो वह प्रगति पथ पर कैसे आगे बढ़ सकता है,इसी प्रकार एक बीमार व्यक्ति अपने स्वास्थ्य के लिए लड़ते लड़ते जीवन बिता देता है, तो उसके लिए उन्नति की बात सोचना निरर्थक हो जाता है.यदि परिवार की स्थिति ऐसी भी न हो जो अपने परिजनों के लिए दोनों समय के भोजन की व्यवस्था न कर सके तो उसके लिए विकास के रास्ते खुलने की सोचना कल्पना से परे की बात हो जाती है. वही स्थिति मानसिक रूप से अक्षम व्यक्ति के साथ लागू होती है.उसकी सफलता संदिग्ध ही रहती है. यदि व्यक्ति का दिमाग तेज है,परन्तु परिवार के वांछनीय सहयोग ,दिशा निर्देश एवं प्रोत्साहन नहीं मिलता तो भी व्यक्ति के लिए उन्नति की लालसा अधूरी रह जाती है,उसके व्यक्तिगत परिश्रम से कुछ उन्नति ही संभावित है.उसे अपने अपेक्षित उन्नति प्राप्त करने के लिए अगली पीढ़ी को सफलता दिलाने तक इंतजार करना पड़ता है,यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा और भाग्य ने साथ दिया तो संतान की उन्नति के रूप में उसका स्वप्न सत्य हो सकता है.अन्यथा आर्थिक जिम्मेदारियों के बोझ तले दबकर उसकी उन्नति ,उसकी सफलता ,उसकी महत्वाकांक्षा पूर्ण नहीं हो पाती.
परिवार का वातावरण भी किसी व्यक्ति की सफलता के लिए भी महत्वपूर्ण होता है.परिवार में यदि कोई ऐसा व्यक्ति अपने वर्चस्व को बनाये रखने के लिए तानाशाही का व्यव्हार करता है,अपनी इच्छाएं अनिच्छायें परिवार के सभी सदस्यों पर लादता रहता है,सबके दिमाग पर ताले डाल देता है,ऐसे परिवार के किसी भी सदस्य का स्वतन्त्र और स्वछंद विकास प्रभावित होता है,उसमें निर्णय लेने की क्षमता का अभाव हो जाता है और अपनी उन्नति के अवसर खो देता है,वह कुंठा का शिकार हो जाता है, अतः किसी व्यक्ति के निरंतर विकास के लिए तन, मन,धन के साथ साथ परिवार की भूमिका मुख्य रूप से प्रभावित करती है.
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