Menu
blogid : 855 postid : 785544

मध्यम श्रेणी व्यक्ति ही न्याय का पोषक

jara sochiye
jara sochiye
  • 256 Posts
  • 1360 Comments

सर्व प्रथम मैं मध्यम श्रेणी व्यक्ति अर्थात मध्य आय वर्ग व्यक्ति को परिभाषित करना चाहूँगा.आखिर किसको मध्य आय वर्ग में माना जाय, क्योंकि यह स्तर विभिन्न स्थानों और विभिन्न परिस्थितियों,और समय के अनुसार संख्या रूप में भिन्न भिन्न हो सकता है.जो आय एक स्थान के लिए के लिए अल्प आय हो सकती है वही आय किसी अन्य स्थान पर मध्यम स्तर में गिनी जा सकती है,इसी प्रकार परिस्थितियों,और समय के अनुसार आय स्तर भिन्न भिन्न रूप से परिभाषित हो सकते हैं.वैसे भी किसी भी आय के मापदंड को निश्चित रूप से कोई आयाम दे पाना संभव नहीं है.
इसलिए मध्यम आय वर्ग को समझने के लिए प्रस्तुत ढंग से परिभाषित किया जाय, तो मध्यम आय वर्ग को समझ पाना आसान होगा. मध्यम आय वर्ग को ऐसे वर्ग के रूप में माना जाय जो अपने परिवार की न्यूनतम आवश्यकताएं जैसे रोटी कपडा और मकान इत्यदि पूर्ण कर पाने में सक्षम है,यह वर्ग जीवन की सामान्य सभी आवश्यकताओं को अपने बजट से पूरी कर लेता है परन्तु फिजूल खर्ची के लिए,उच्चतम गुणवत्ता वाली सुविधाओं को जुटाने की क्षमता नहीं रखता.उसके पास प्रचुरता में कुछ भी नहीं होता.
यहाँ पर इस आय वर्ग की कुछ विशेषताओं को समझना प्रासंगिक होगा.यह वर्ग अधिकतर चरित्रवान, परिश्रमी, महत्वकांक्षी और सिद्धांतवादी होता है.यद्यपि अपवाद प्रत्येक वर्ग में विद्यमान है.क्योंकि इस वर्ग के पास धन तो होता है परन्तु सिर्फ इतना ही जो वह अपने परिवार की आवश्यकताओं को खींच तान कर ही पूरा कर सके. इस कारण वह अपने बच्चों को संयमित रखने के लिए मजबूर रहता है.इसीलिए वह युवा वर्ग को नियंत्रित कर पाने में सक्षम होता है. फिजूल खर्ची और ऐशो आराम की जिन्दगी के अभाव में बच्चों में समस्याओं से जूझने की प्रवृति हो जाती है.उनके ह्रदय में उच्च स्तर की सुविधाओं को पाने की लालसा बन जाती है जिससे उनमें जीवन से संघर्ष करने की प्रेरणा मिलती है.योग्य एवं समर्थ युवक अपने सपनों को पूर्ण करने में सफल भी हो जाते हैं.अक्सर पाया गया है की देश को अधिकांश योग्य, होनहार, प्रतिभावान, और सफल नागरिक इसी श्रेणी के परिवारों से प्राप्त होते हैं.इसका कारण भी स्पष्ट है, जिस परिवार में विलासिता की वस्तुएं और सेवाएं प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती हैं, अर्थात जो परिवार उच्च आय वर्ग में आते है उन परिवारों में बच्चो,युवकों को दुनिया की जमीनी हकीकत का आभास नहीं हो पाता.अतः उनमे संघर्ष करने या समस्या से जूझने की प्रवृति का अभाव रहता है.ऐसे परिवारों में अभिभावक अपने काम काज में अधिक लिप्त होते हैं या फिर अपने ऐशोआराम के कारण अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते,उन्हें मार्गदर्शन नहीं दे पाते या मार्गदर्शन देने में रूचि नहीं दिखाते.और परिवार के बच्चे और युवा अक्सर लापरवाह, आलसी, अय्याश, और नशेडी बन जाते हैं,वे अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझ पाते.वे अपने भावी करियर के लिए योजना बद्ध हो कर कार्य कर पाने में असमर्थ होते हैं.उन्हें धन अर्जन का मूल्य नहीं पता होता,वे देश के लिए समाज के लिए अपने योगदान के प्रति जागरूक नहीं होते.क्योंकि वे अपनी पुरानी पीढ़ी के कमाए धन, प्रतिष्ठा, सफलता से ही अपने भविष्य को निर्भर कर लेते हैं कभी कभी तो वे अपने जीवन में अपने कारोबार में धन वृद्धि के बजाये यथास्थिति भी नहीं बनाये रख पाते.और उनका व्यापार, कारोबार निरंतर पतन की ओर चल पड़ता है.ऐसे गैर जिम्मेदार व्यक्तियों से न्याय की बात करना या न्याय की उम्मीद करना बेमानी है.उनकी नजरों में किसी श्रमिक,या विद्वान् में कोई अंतर नहीं होता उनके लिए कोई भी सम्माननीय नहीं होता,उनके लिए कोई सिद्धांत मायने नहीं रखता कोई कानून उनके व्यव्हार में अड़चन नहीं बनता.अतः उन्हें न्याय और अन्याय समझ नहीं आता.अतः वे न्याय की बात नहीं कर पाते .उनके अनुसार जो वे चाहते हैं वही उचित है,न्याय पूर्ण है.क्योंकि उनमे धन के बल पर दुनिया की हर ख़ुशी. हर सुविधा प्राप्त कर लेने की क्षमता होती है. परन्तु जब अपवाद स्वरूप कुछ युवा अपने अन्दर समस्याओं से जूझने की,और अपने भविष्य के प्रति जागरूकता विक्सित कर लेते है तो वे देश को नेतृत्व देने की क्षमता पा लेते है,और देश के लिए, समाज के लिए सर्वाधिक उपयोगी नागरिक सिद्ध होते है.
अब एक झलक ऐसे वर्ग पर डाली जाय जो परिवार अपनी न्यूनतम आवश्यकताओं के लिए संघर्ष करते रहते हैं,ऐसे परिवार में शिक्षा का अभाव ही रहता है,घर के बड़े मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं.इन परिवारों में धन का अभाव उनकी मूल आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं होने देता,और बच्चो को पढने के अवसर नहीं मिल पाते,यदि अवसर मिलते हैं तो पर्याप्त सुविधाओं के अभाव में शिक्षा में गुणवत्ता नहीं ला पाते.अतः मेधावी छात्र विकसित नहीं कर पाते.अनेक बार तो बच्चों को अपनी शिक्षा को अधूरी छोड़ कर परिवार की आर्थिक आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए जूझना पड़ता है. शिक्षा के अभाव में इस वर्ग के व्यक्तियों को न्याय,अन्याय का ज्ञान नहीं होता.और जिसे ज्ञान होता भी है तो वह धन के अभाव में न्याय पाने से लाचार रहता है,या न्याय के लिए अपनी आवाज बुलंद करने में असमर्थ होता है.उसे सिर्फ अपनी मजदूरी से अपने परिवार के भरण पोषण की मजबूरी बनी रहती है.
अतः पर्याप्त शिक्षा ,पर्याप्त धन और सिद्धात वादी परिवार होने के कारण न्याय की बात मध्यम आय वर्ग ही उठाता है. यदि यह कहा जाय की मध्यम आय वर्ग ही पूरे समाज को नियंत्रित करता है तो गलत न होगा.देश के विकास में सर्वाधिक योगदान भी इसी वर्ग का होता है.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh