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हमारे देश के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इस वर्ष गाँधी जयंती के अवसर पर सभी देश वासियों से समस्त देश को साफ स्वच्छ बनाने की अपील करते हुए “स्वच्छ भारत अभियान” की शुरुआत की है. गाँधी जी ने ही सर्वप्रथम स्वच्छता के महत्त्व पर जोर दिया,और जनता को सन्देश दिया की हमें अपनी साफ सफाई स्वयं करनी चाहिए. वे स्वयं अपने आश्रम के शौचालय की सफाई में जुट जाते थे. वर्तमान सरकार के इस अभियान को प्रमुखता के साथ अपनाना प्रत्येक देशवासी का कर्तव्य है और इसमें सबका हित भी जुडा हुआ है. स्वस्थ्य और प्रसन्न जीवन के लिए स्वच्छ रहना, सभी जगह स्वच्छता बनाये रखना आवश्यक है. किसी भी देश के सतत विकास के लिए उस देश की जनता का रोग रहित और स्वस्थ्य होना अत्यंत आवश्यक है. कठोर परिश्रम और लगन के बिना कोई भी विकास संभव नहीं है और परिश्रम बिना स्वास्थ्य के संभव नहीं है. साथ ही अनेक प्रकार की बीमारियों पर होने वाला चिकित्सा खर्च भी देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है. यदि जनता स्वस्थ्य होगी तो रोग मुक्ति के लिए खर्च भी कम होगा और जनता अपने कार्यों की अधिक क्षमता से कर सकेगी. जो विकास के लिए योगदान होगा. जनता को रोग मुक्त रहने के लिए उसको सफाई के प्रति जागरूक होना आवश्यक है. गंदगी घर में हो या सड़क और सार्वजानिक स्थानों पर,अनेक प्रकार के कीड़े मकोड़ों, मक्खी, मच्छर,और सूक्ष्म जीवों की उत्पत्ति में सहायक होती है. घर के अन्दर-बाहर, मोहल्ले, शहर, बाजार सभी जगह नियमित रूप से सफाई रहने से ही अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना की जा सकती है. अतः यदि सम्पूर्ण नगर साफ सुथरा रहेगा तो ही अनेक प्रकार के रोगों के संक्रमण के खतरे से बचा जा सकता है और आम जनता को स्वस्थ रखा जा सकता है. आज बढ़ते शहरीकरण के कारण भारत जैसे विकासशील देशों में कचरा प्रबंधन एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है. आज हमारे देश में प्रतिदिन एक लाख साठ हजार टन कचरा निकलता है,जिसका सही प्रबंधन न होने के कारण बड़े बड़े शहरों में कचरे के पहाड़ बनते जा रहे हैं.जिसके कारण शहरों में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है और मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है. विशेष तौर पर जो लाखों बच्चे अपनी आजीविका कमाने की खातिर कचरे की छंटाई में लगे रहते हैं, हर समय केंसर, चर्म रोग, टी बी, और अनेक श्वांस जनित रोगों के खतरे से जूझते है.
आज हमारे देश में बड़ा शहर हो, या छोटा, गाँव हो या क़स्बा या रेल की पटरियां सभी जगह सड़कों या सार्वजानिक स्थलों पर गंदगी का साम्राज्य है, जगह जगह कचरे के ढेर मिल जाते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ बनते जा रहे हैं और विदेशों में हमारे देश की छवि को भी धूमिल करते हैं.
आखिर क्या कारण है आजादी के इतने वषों बाद भी हम अपनी बस्तियों से गंदगी हटाने में सक्षम नहीं हो सके.
१,आजादी के पश्चात् देश की आबादी लगभग तीन गुनी हो चुकी है.हमारा देश विश्व में सबसे बड़ी और सघन आबादी वाले देशों गिना जाता है. जनसँख्या विस्फोट के कारण उत्पन्न विशाल कचरे का प्रबंधन कोई आसान कार्य नहीं है, परन्तु यदि जनता जागरूक हो और उसका सहयोग प्राप्त हो तो असंभव भी नहीं है.
२,हमारे देश में सदियों से साफ सफाई की जिम्मेदारी एक विशेष जाति यानि बाल्मीकि (जिसे अब पद दलित या हरिजन जाति के नाम से जाना जाता है) जाति पर रही है. अन्य जातियां उच्च जाति के नाम से जानी जाती रही हैं, जिनके लिए साफ सफाई का काम निम्न श्रेणी(उनकी शान के विरुद्ध) का माना जाता रहा है. आजादी के पश्चात् गाँधी जी प्रयासों से हरिजन जातियों को बराबरी का दर्जा दिया गया, छुआ छूत को बढ़ावा देने वाले को दण्डित करने का प्रावधान किया गया. उन्हें अनेक प्रकार की विशेष रियायते देते हुए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था की गयी. सदियों से चले आ रहे उनके शोषण को रोकने के लिए अनेक कानून बनाये गए. जिसके कारण सफाई कर्मचारियों पर अधिकारियों का दबाब समाप्त हो गया. अब अधिकतर सफाई कर्मचारी बिना कुछ कार्य किये अपना वेतन ग्रहण करते हैं और कोई भी अधिकारी उनके विरुद्ध कार्यवाही नहीं कर पाता. इस प्रकार शहरों में सफाई कार्य लगभग ठप्प हो गया है कभी मीडिया बहुत शोर मचाता है तो थोडा बहुत सफाई कार्य हो जाता है,और नालों की सफाई की जाती है. सफाई कर्मी की नौकरी के लिए उच्च जाति के लोग आज भी भर्ती नहीं होते.जब तक साफ सफाई सिर्फ एक ही जाति वर्ग का कर्तव्य माना जाता रहेगा समस्या बढती जाएगी.
३,रोज निकलने वाले कचरे का प्रबंधन हमारे शासको नेताओं की कमजोर इच्छा शक्ति के कारण कुशलता से नहीं किया जा सका और न ही वोट बैंक की राजनीति के कारण सफाई कर्मी पर दबाब बना सके. सभी नेता अपना कार्यकाल पूर्ण करने की जुगत में लगे रहे.
४,जो कचरा आज देश के लिए समस्या बनता जा रहा है यदि उसका प्रबंधन कुशलता से किया जाता तो यही बायो कचरा देश की कृषि पैदावार(खाद के रूप में) और सूखा कचरा रिसाइकिल द्वारा अनेक वस्तुओं के उत्पादन में सहायक हो सकता था.
५,हमारे देश में आम आदमी की सोच बन गयी है, घर का कूड़ा कचरा सड़क या सार्वजानिक स्थानों पर डालना उsसका अधिकार है. हमारे समाज में सफाई कार्य को एक निकृष्ट कार्य के तौर पर देखा जाता हैं, अतः हम स्वयं अपनी घर बार की सफाई करने में संकोच करते हैं.
क्या हम धर्म के नाम पर ही सारे कार्य करते हैं?
मुझे एक मित्र शर्मा जी ने बहुत ही अच्छा अनुभव सुनाया था उन्होंने बताया उनके पड़ोस में एक दीवार की ओट ऐसी पड़ती थी जिसमे कोई भी चलता फिरता व्यक्ति अपनी लघु शंका मिटाने के लिए प्रयोग करता, और कोई भी अपने घर का कचरा वहां डाल देता. जिससे शर्मा जी के घर तक बदबू आती रहती थी, इससे वे काफी परेशान रहते थे. एक दिन उन्होंने उस दीवार पर लिखवा दिया की—-‘’यहाँ पेशाbब करना सख्त माना है” शर्मा जी ने सोचा शायद अब उन्हें इस समस्या से छूटकारा मिल जायेगा परन्तु ऐसा नहीं हुआ किसी पर लिखे वाक्य का कोई असर नहीं पड़ा. अब शर्मा जी ने नगर निगम से शिकायत की तो उन्होंने उस मकान के सामने एक बोर्ड लगवा दिया जिस पर सूचना तौर पर लिखवा दिया गया “यहाँ पर पेशाब करना या कूड़ा डालना माना है,पकडे जाने पर जुर्माना देना होगा” आज्ञा से नगर आयुक्त. परन्तु इस बोर्ड का भी कोई असर राहगीरों या स्थानीय निवासियों पर नहीं पड़ा वे वैसे ही उस स्थान का उपयोग करते रहे. अब शर्मा जी काफी परेशान हो चुके थे अचानक उनके मन में ख्याल आया और उन्होंने स्वयं ही दीवार का वह हिस्सा साफ़ किया और उस पर अनेक बार लिख दिया ‘ॐ नमः शिवाय’ और कुछ देवी देवताओं की तस्वीरें बना दी. वास्तव में उनकी तरकीब काम आयी और दस दिनों के पश्चात् भी पाया वह स्थान बिलकुल साफ सुथरा था, किसी ने कोई कूड़ा नहीं फैंका था और न ही पेशाbब करने का साहस किया.और इसने सिद्ध कर दिया की इस देश में धार्मिक भावना के सहारे सब कुछ किया जा सकता है इसीलिए शायद पुराने लोगों ने कहा है की सफाई करने से घर में लक्ष्मी आती है ताकि लोग सफाई के लिए प्रेरित हो सकें. परन्तु सिर्फ घर की सफाई ही क्यों, सभी सार्वजानिक स्थानों पर भी सफाई रखने की आदत डालनी चाहिए. तब ही हम सब स्वस्थ्य रह सकेंगे और हर जगह लक्ष्मी का निवास हो और सभी लोग संपन्न हों.क्या धार्मिक रूप में बताई बातें ही हमें सटीक लगती हैं?
स्वच्छता का अर्थ बहुत ही गंभीर है यह सिर्फ घर या बाहर की सफाई तक सीमित नहीं होता बल्कि हमारे मन के विचारों का शुद्ध होना भी आवश्यक है, साथ ही अपने खान पान में सफाई के लिए जागरूक होना भी आवश्यक है. अक्सर देखा जाता है की हम लोग खान पान में या भोजन बनाते समय भी सफाई के आवश्यक मापदंडों को नहीं अपनाते. रसोई में भी अनेक प्रकार की लापरवाही करते हैं, और उस लापरवाही के दूरगामी परिणामों को नहीं सोचते. सिर्फ व्यावसायिक स्तर पर ही नहीं व्यक्तिगत स्तर पर भी भोजन बनाते समय जाने अनजाने अनेक प्रकार से भोजन को दूषित कर देते है. जिसका कही न कही हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है,और अनेक बीमारियों को आमंत्रण मिलता है. भोजनालय,होटल या रेस्टोरेंट के शेफ अनेक प्रकार से लापरवाही कर भोजन को स्वच्छ तरीके से नहीं बनाते, शायद उन्हें लगता है की बड़े स्तर पर भोजन बनाते समय सभी प्रकार के स्वस्च्छ्ता के मापदंडों को नहीं अपनाया जा सकता.परन्तु उनका यह सोचना अपनी जिम्मेदारियों से भागना है जो ग्राहक आपके पास खाना खाने आते हैं यदि वे स्वस्थ्य नहीं रह पाएंगे तो आपका भी नुकसान होना तय है. आपके ग्राहक स्वस्थ्य रहेंगे तब ही आपका व्यवसाय फलेगा फूलेगा. भोजन निर्माण में स्वच्छता रखना और ग्राहकों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना इनसानियत के नाते भी आवश्यक है.
(प्रत्येक व्यक्ति को खानपान में सफाई के प्रति जागरूक करना भी आवश्यक है.)
भोजन बनाते समय – सर्व प्रथम रसोई में काम करने वाले को अपने हाथों को विशेष रूप से साफ करके ही भोजन पकाने का कार्य प्रारंभ करना चाहिए. किचिन में गंदगी रखना, गंदे कपडे से बर्तन साफ करना या तवा साफ करना, बर्तन साफ पानी से न धोना ,साग सब्जी को साफ पानी से अच्छे से न धोना, सब्जी में शुद्ध मसालों का प्रयोग न करना, भोजन ग्रहण करने वाले के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करना है. क्योंकि गंदगी में अनेक प्रकार के सूक्ष्म जीवाणु होते है उनकी इतनी अधिक संख्या होती है की वे एक सुईं की नोक के बराबर स्थान पर भी सैंकड़ों की तादाद में मौजूद होते है. जो शरीर में पहुँच कर अनेक बीमारियों को जन्म देते है और दूषित भोजन करने वाला व्यक्ति बीमार हो जाता है.कोई भी खाद्य पदार्थ साफ़ सुथरी जगह या साफ़ बर्तन में रखना आवश्यक है.
शौच के पश्चात्,:-प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक होना चाहिए की शौच के पश्चात् हाथों को भली प्रकार साबुन से साफ़ करे,तत्पश्चात नियमित रूप से मुख एवं दांतों की सफाई करें, शौचालय को भी नियमित रूप से साफ़ करे.
भोजन से पूर्व;-जब भी भोजन करने बैठें हाथों को अच्छे से साफ़ करें.ऐसे खाद्य पदार्थ जिसे पकाने की आवश्यकता नहीं होती जैसे फल,या सलाद इत्यादि को बिना अच्छे से धोये सेवन न करें, भली प्रकार स्वच्छ पानी से धो कर ही सेवन करें.
स्वच्छ पानी;-प्रत्येक व्यक्ति को अपने पीने के पानी की स्वच्छता पर ध्यान देना चाहिए,प्रदूषित पानी अनेक बीमारियों को पैदा करता है.यदि उपलब्ध पानी स्वच्छ नहीं है तो पहले उसे प्योरीफायर से साफ करें और फिर पीने के लिए प्रयोग करें.
नियमित स्नान;– पूरे शरीर को साफ़ और स्वच्छ रखने के लिए नियमित रूप से स्नान करें और सभी अंगों की सफाई पर ध्यान दें.
सोते समय;– सोने जाने से पहले यह सुनिश्चित करें जिस बिस्तर पर सोना है वह साफ़ सुथरा है,बेड शीट एक अन्तराल के पश्चात् बदलनी आवश्यक है.
घर की सफाई;-घर की नियमित सफाई अत्यंत आवश्यक है,घर की सफाई के कार्य को अनेक भागों में विभाजित किया जा सकता है जैसे दैनिक साफ़ सफाई (झाड़ू पौंछा इत्यादि),साप्ताहिक सफाई खिड़की दरवाजो पर जमी धूल.और जालों की सफाई कूलर इत्यादि के पानी की सफाई,घर में मौजूद नालियों की सफाई,इत्यादि और वार्षिक सफाई में मुख्य रूप से रंग रोगन, पेंटिंग, पुताई आदि आती हैं.
सार्वजानिक स्थानों की सफाई;-घर की सफाई के पश्चात् अपनी गली मोहल्ले की सफाई में भी यथा संभव योगदान देना चाहिए,घर के बाहर,सड़क और नालियों की सफाई से भी आपके स्वास्थ्य पर व्यापक असर पड़ता है. इसी प्रकार शहर में जहाँ भी आप जाएँ शोपिंग माल हो, दुकान हो, सरकारी या निजी कार्यालय हो या अस्पताल,सिनेमा घर सभी जगह की सफाई पर आम आदमी का योगदान (गंदगी न फैला कर)उसके और पूरे समाज के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी सिद्ध होगा.
स्वच्छ खाना,स्वच्छ रहना,स्वच्छ रखना स्वस्थ्य और सुखी जीवन की मूल आवश्यकता है
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