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विश्व स्वास्थ्य दिवस(सात अप्रेल-2015)

jara sochiye
jara sochiye
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लू. एच.ओ) विश्व के देशों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर आपसी सहयोग एवं मानक विकसित करने की संस्था है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के 193 सदस्य देश तथा दो संबद्ध सदस्य हैं। यह संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अनुषांगिक इकाई है। इस संस्था की स्थापना 7अप्रैल1948 को की गयी थी। इसी लिए प्रत्येक साल 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस के रुप में मनाया जाता हैं। यह एक ऐसा अवसर है जब सारी दुनिया का ध्यान मानव स्वास्थ्य की ओर आकर्षित किया जाता है.अनेक प्रकार से स्वास्थ्य सम्बन्धी चर्चा करके जनता को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के प्रयास किये जाते हैं. राष्ट्रिय स्तर पर सरकारों को स्वास्थ्य सम्बन्धी अवश्यक कदम उठाने के लिए प्रेरित किया जाता है, ताकि सभी देशों की जनता स्वस्थ्य और रोग मुक्त हो सके. मानवता अनेक गंभीर बीमारियों,संक्रामक रोगों की जानकारियां प्राप्त कर उनसे बचने के लिए समय रहते उपाय कर सके. सभी देश अपनी आवश्यकतानुसार “विश्व स्वास्थ्य संगठन” से उचित सहयोग और साधन उपलब्ध प्राप्त कर सके, और पूरे विश्व में रोग मुक्त मानव समाज का निर्माण हो सके.

आज मानव विकास चरम पर है जिसने मानव को अनेक प्रकार से सुविधा संपन्न किया है.इस विकास में चिकित्सा विज्ञानं की उपलब्धिया भी कम नहीं है.परन्तु फिर भी इन्सान को रोग मुक्त नहीं किया जा सका है.अनेक बीमारियाँ आज भी लाइलाज बनी हुई हैं जिनके लिये अभी तक कोई कारगर इलाज संभव नहीं हो पाया है.दूसरी ओर विकास के लिए लगाये गए अनेक कल कारखानों के अस्तित्व में आने से अनेक प्रकार के प्रदूषण उत्पन्न हुए है.जिसने मानव स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित किया है.बदलती जीवन शैली के कारण खानपान,रहन सहन अप्राकृतिक और बनावटी होता जा रहा है, जिसने आम जन को रोगग्रस्त कर दिया है . यही कारण है आज जनमानस अनेक प्रकार से सुविधा संपन्न होते हुए भी अनेक बीमारियों से ग्रस्त है और शायद स्वास्थ्य समस्याएँ पहले से अधिक गंभीर होती जा रही हैं.बिना स्वास्थ्य के इन्सान की सारी उपलब्धिया निरर्थक हो जाती है उसकी सारी खुशिया बेरंगi हो जाती हैं.इन्सान की सबसे पहली ख़ुशी उसका अच्छा स्वास्थ्य है, उसके बाद ही वह सभी सुख सुविधाओं का लाभ उठा सकता है,आनंद प्राप्त कर सकता है,विपत्तियों का दृढ़ता पूर्वक सामना कर सकता है.

विश्व स्वास्थ्य दिवस के इस पावन अवसर पर हमें भी अपने देश में राष्ट्रिय स्तर पर स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से लड़ने के लिए रणनीति बनानी चाहिए, ताकि देश की जनता जल्द से जल्द स्वास्थ्य समस्याओं से निजात पा सके. देश खुशहाल और संपन्न हो सके और विकास के रथ पर तीव्रता से दौड़ सके.वर्तमान सन्दर्भ में यदि निम्न बातों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रिय निति बनायीं जाय तो और उसको क्रियान्वित किये जाए, तो विश्व स्वास्थ्य दिवस के इस मिशन में विश्व स्वास्थ्य संगठन को वांछित योगदान किया जा सकता है.

औद्योगिकरण के कारण स्वास्थ्य के लिए बढ़ते खतरे:-

जैसे जैसे हम औद्योगीकरण की ओर बढ़ते जा रहे हैं, हर प्रकार से प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है. अब चाहे वायु प्रदूषण हो,जल प्रदूषण हो,रेडियो धर्मिता या फिर ध्वनि प्रदूषण,मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा खतरा बनता जा रहा है.हमें अपने उद्योगों को प्रेरित करना होगा की वे इस सन्दर्भ में मानवता का सहयोग करें और प्रदूषण रहित वातावरण के लिए आवश्यक उपाय करें.साथ ही उद्योगों को एको फ्रेंडली बनाने के लिए सरकार को उन पर कानूनी दबाव बनाना चाहिए.

मानव विकास के नाम पर प्राकृतिक स्रोतों के अंधाधुंध दोहन के कारण ग्लोबल वार्मिंग वातावरण में दस्तक दे चुकी है, जिसने मौसम चक्र बिगड़ दिया है और प्राकृतिक आपदाओं को आमंत्रित किया है.जिससे मानव स्वास्थ्य और मानव जीवन को लगातार चुनौती मिल रही है.अतः प्रत्येक राष्ट्र का दायित्व हो गया है की प्रकृति से विकास के नाम पर कम से कम छेड़ छाड़ होने दे,और प्रकृति को पहुंचे नुकसान की यथा संभव भरपाई करने के प्रयास करे और प्रदूषण रहित वातावरण बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाय.

खेतों में रासायनिक खादों का अत्यधिक प्रयोग,कीटनाशकों के अनियोजित इस्तेमाल ने खाद्य सामग्री को प्रदूषित कर दिया है.लाभ कमाने की बढती महत्वाकांक्षा ने उद्योगपतियों और व्यापारियों को मिलावटी खाद्य पदार्थो को बेचने के लिए प्रेरित किया है जिनके माध्यम से नित नयी और खतरनाक बीमारियों की निमंत्रण दिया जा रहा है.प्रत्येक देश की सरकारों को विकास के साथ साथ मानव स्वास्थ्य को सुरक्षित करने के लिए भी प्रयास करने होंगे.क्योंकि हमारा देश अभी विकास की ओर कदम बढ़ा रहा है, अतः उसे औद्योगीकरण और विकास से उत्पन्न होने वाले दुष्परिणामों को देखते हुए प्रारंभ से ही ध्यान रखना होगा और आवश्यक उपाय करने होंगे.

संक्रामक रोगों से बचाव;-

इतिहास गवाह है की हर युग में संक्रामक रोगों ने मानव समाज पर बार बार कहर ढाया है. कभी कभी तो पूरे गाँव के गाँव और बस्तियां संक्रामक रोगों की चपेट में आकर उजड़ गयी हैं. अतः संक्रामक रोग मानव सभ्यता के लिए हमेशा चुनौती बने हैं.गत वर्षों में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पूरे विश्व में संक्रामक रोगों पर विजय पाने के लिए सराहनीय कार्य किया है.इन रोगों से बचाव के लिए जनता को जागरूक किया है,यही कारण है की आज हैजा, चेचक, प्लेग, मलेरिया,पोलियो जैसी बीमारियाँ या तो ख़त्म हो गयी है या ये बीमारियाँ होने पर संक्रामक रूप नहीं ले पाती और विशाल जनहानि नहीं कर पाती. परन्तु भी संक्रामक रोगों से यह लडाई अभी ख़त्म नहीं हुई है,आज भी कुछ नयी बीमारियों ने सर उठा iलिया है जिनका कारगर इलाज उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, जिनमे बर्ड फ्लू,एड्स,स्वाइन फ्लू जैसे अनेक संक्रामक रोग शामिल है.जिसके लिए सभी देशों को अपनी जनता को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है. ताकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मिशन को सफल बनाया जा सके और स्वस्थ्य विश्व की कल्पना को साकार किया जा सके

लाइलाज बीमारियों के प्रति जागरूकता आवश्यक;

एड्स,केंसर,बर्ड फ्लू,स्वाइन फ्लू,हिपेटाईटिस जैसी अनेक बीमारियाँ ऐसी हैं जिनका कारगर इलाज आज भी संभव नहीं है.परन्तु यदि जनता को इन बीमारियों से बचाव के उपाय बताये जाये,खान पान और व्यव्हार में सावधानी रखने के लिए उसे जागरूक किया जाय,तो रोगों की भयानकता से बचा जा सकता है और रोग को होने से रोका जाने सकता है.स्वास्थ्य दिवस के उपलक्ष्य में स्वास्थ्य सम्बन्धी शिक्षा अभियान के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की आवश्यकता है. हमारे समाज में शिक्षा का अभाव होने के कारण जनता को शिक्षित करने की विशेष आवश्यकता है.रोगों से बचाव के लिए विशेष प्रचार प्रसार की जरूरत है,जिससे आम जन मानस जागरूक हो कर स्वयम अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख सके. जिन रोगों के बचाव के लिए टीके उपलब्ध हैं उन्हें राष्ट्रिय स्तर पर मुफ्त में लगाये जाने चाहिए,और वर्तमान में सरकार द्वारा चलाये जा रहे स्वास्थ्य सम्बन्धी अभियानों में तीव्रता लायी जाए. ताकि शीघ्र से शीघ्र देश के प्रत्येक नागरिक को लाइलाज बीमारी से मुक्ति मिल सके और स्वास्थ्य लाभ कर सके.आनंद मय जीवन जी सके.

तनाव जनित मानसिक व्याधियों की चिकित्सा:

आधुनिक औद्योगीकरण के युग मानव को प्रत्येक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा को झेलने के लिए मजबूर होना पड़ा है. उसे अपने अस्तित्व को बनाय रखने के लिए,अपनी उन्नति को निरंतर गति देने के लिए प्रतिस्पर्द्धी होना आवश्यक हो गया है. यही प्रतिस्पर्द्धा की भावना आज इन्सान को तनाव युक्त बना रही है.लगातार तनाव झेलते रहने के कारण अनेक प्रकार की मानसिक व्याधियां अपनी पैठ बनाती जा रही हैं.आज दुनिया में हर तीसरा व्यक्ति मानसिक अवसाद(डिप्रेशन) का शिकार हो चुका है.और दिन पर दिन यह स्थिति भयावह होती जा रही है.कभी कभी यही डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति इतना अधिक निराश हो जाता है की आत्म हत्या जैसे भयानक कदम उठाने को प्रेरित हो जाता है.जो विक्सित और सभी मानव समाज पर कलंक है.अतः मानसिक व्याधियों की चिकित्सा पर विशेष ध्यान देना आवश्यक हो गया है.यह भी एक विडम्बना ही है की भारतीय परिवेश में मानसिक व्याधियों को मान्यता नहीं मिलती. मानसिक रोगग्रस्त व्यक्ति को सिर्फ पागल की श्रेणी में रखा जाता है, जिस कारण कोई भी व्यक्ति साधारणतयः अपनी मानसिक बीमारी को छिपाता है, और समय रहते इलाज नहीं कराता, जो बाद में अनेक भयानक रूप ले लेता है,शायद तब कारगर इलाज भी संभव नहीं हो पाता.जिससे पूरा समाज प्रभावित होता है. अतः आम जनता को मानसिक व्याधियों के बारे में उपयुक्त जानकारियां उपलब्ध कराकर उचित उपचार के लिए प्रेरित किया जाना आवश्यक है.

सर्व सुलभ चिकित्सा आवश्यक;-

जैसे जैसे इन्सान विकास की ओर उन्मुख होता है,प्रत्येक व्यक्ति का वेतन और पारिश्रमिक भी बढ़ता जाता है और वस्तुओं की कीमतें भी बढती जाती हैं.परिणाम स्वरूप डॉक्टर की फीस और दवाओं की कीमतें भी बढती जाती हैं और इलाज गरीब व्यक्ति की पहुँच से दूर होता जाता है.जबकि बीमारी व्यक्ति के पास धन या उसकी हैसियत को देख कर नहीं आती.जीवन काल को जारी रखने के लिए इलाज कराना आवश्यक है, जिससे किसी भी व्यक्ति को वंचित नहीं रखा जा सकता.यदि कोई भी व्यक्ति उचित इलाज के अभाव में मरता है तो यह मानव सभ्यता पर कलंक है.अतः गरीब और असहाय लोगों को चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध कराना देश के शासकों का दायित्व है.प्रत्येक देश की सरकार को सुनिश्चित करना होगा की उसके देश में कोई भी नागरिक इलाज के अभाव में मौत का शिकार न हो पाए.

स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ने के लिए अनुसन्धान;-

आज भी बहुत सी बीमारियाँ ऐसी हैं, जिनका कारगर इलाज मेडिकल साइंस के पास नहीं है,जिनके कारगर और सटीक इलाज के लिए निरंतर अनुसन्धान की आवश्यकता होती है.यद्यपि अनेक दवा निर्माता अपने स्वयं के अनुसन्धान केंद्र बना कर निरंतर शोध करते रहते है,कुछ i अनुसन्धान राष्ट्रिय स्तर पर भी नियमित रूप से किये जाते हैं.चिकित्सा अनुसन्धान के लिए अक्सर एक बड़ी रकम की आवश्यकता होती है.परन्तु कुछ अनुसंधानों के लिए इतनी बड़ी रकम की आवश्यकता होती है,जो किसी एक देश के लिए वहन करना संभव नहीं होता.बड़े अनुसंधानों के लिए विश्व के सभी देशो को मानव हित में एक साथ मिल कर कार्य करना आवश्यक हो जाता है.ताकि विकसित समाज में कोई भी बीमारी ला इलाज न हो.और मानवता कष्ट रहित हो कर,खुशहाल जीवन जी सके और निरंतर विकास कर गति बनी रहे.

आकस्मिक आपदाओं के समय एवं तत्पश्चात चिकित्सा सेवाए;-

विश्व में कहीं न कहीं प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं, जिसके कारण मानव समाज को जान माल का नुकसान उठाना पड़ता है, इसी प्रकार इन्सान सड़क मार्ग ,रेल मार्ग,हवाईयात्रा, कारखानों इत्यादि में घटित दुर्घटनाओं जैसे अनेक मानव जनित हादसों का शिकार होता रहता है,जिनमे अनेक जाने चली जाती है तो कुछ शेष जीवन अपाहिज या विकलाँग होकर जीने को मजबूर होते हैं. और अनेक बार आपदा के चले जाने के बाद भी समाज को संक्रामक रोगों से झूझना पड़ता है.यद्यपि विकसित मानव समाज आज भी प्राकृतिक आपदाओं पर पूरी तरह नियंत्रण कर पाने के समर्थ नहीं है.वर्तमान में उपलब्ध संसाधन जनमानस को विपदाओं की तीव्रता से राहत तो दिला ही सकते हैं. विपत्ति में जनता के कष्टों को कम करने में सहायक हो सकते हैं, और विपदा के ख़त्म हो जाने के बाद में विभिन्न रोगों की गिरफ्त में आने से रोका जा सकता है, अपने घर बार से वंचित होने वाले पीड़ितों के पुनर्वास के लिए शीघ्रता से उपाय किया जा सकते है, ताकि वे अपने जीवन को यथा शीघ्र सामान्य रूप से जीने लायक बना सके.राहत कार्य स्वयं सेवी संस्थाएं और सरकार द्वारा ही किये जाते हैं,राष्ट्र व्यापी विपदाओं में विभिन्न प्रकार की सहायताएँ विश्व के सभी देश मिल कर अपनी क्षमता के अनुसार करते हैं,जो एक संतोष का विषय है.परन्तु भारत जैसे कुछ देशों में व्याप्त भ्रष्टाचार और राजनैतिक इच्छा शक्ति के अभाव में वांछित मानव सेवा संभव नहीं हो पाती.इंसानियत के नाते,सरकार और समाज के सभी लोगों को पीड़ितों की यथा संभव मदद करनी चाहिए,और उन्हें सामान्य जीवन जीने के योग्य बनाना चाहिए.

आतंकवाद से मुक्ति;-

आधुनिक युग में आमने सामने के युद्ध लगभग समाप्त हो रहे हैं.वर्तमान में विश्व के देशों के आपसी द्वेष के कारण, एक दूसरे को नीचा दिखाने और दुश्मन देश की उन्नति में रोडा बनने के लिए छद्म युद्ध का सहारा लिया जाता है.आतंकवाद इसी युद्ध का विशुद्ध रूप है.यह आतंकवाद खाड़ी के देशों से प्रारंभ हुआ, जिनसे अपनी जड़ें पूरी दुनिया में जमा ली हैं.छद्म युद्ध के इस नए रूप में विक्सित आतंकवाद ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया है.जिसके कारण प्रति वर्ष हजारों बेगुनाह लोग काल के गाल में समां जाते हैं,हजारों की संख्या में बेघर हो जाते हैं,कुछ लोग विकलांग हो जाते है या अनेक प्रकार से कष्टों का सामना करते हैं.आतंकवादी गतिविधिया मानव सभ्यता पर कलंक हैं,जो पूरी मानवता को तनावयुक्त कर देते हैं, प्रत्येक व्यक्ति के मन में असुरक्षा का भाव उत्पन्न होता है.यदि इन्सान अपनी जान मॉल को लेकर असुरक्षित है तो उसकी सारी उपलब्धिया,सुख सुविधाएँ,विलासिता पूर्ण साधन निरर्थक हो जाते हैं.अतः मानवता को कष्ट मुक्त करने और भय मुक्त एवं शांति पूर्ण स्वस्थ्य जीवन देने के लिए विश्व से आतंकवाद का खात्मा किया जाना बेहद आवश्यक है. जिसके लिए विश्व के सभी देशों का आपसी सहयोग और आतंकवाद से लड़ने के लिए दृढ इच्छा शक्ति का होना आवश्यक है.विश्व के सभी राष्ट्रों को ‘जियो और जीने दो’ के सिद्धांत को अपनाना होगा.

विश्व स्वास्थ्य दिवस के सन्दर्भ में आज दुनिया के प्रत्येक व्यक्ति को सकल्प बद्ध होना चाहिए की

 वह स्वयं किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहेगा,यदि वह पहले से किसी नशे का शिकार हो चुका है तो उससे निकलने का सार्थक प्रयास करेगा और अपने समाज में जागरूकता फ़ैलाने का प्रयास करेगा.

 प्रत्येक व्यक्ति सेहतमंद खान पान की जानकारी प्राप्त कर और उस पर अमल कर अपने स्वास्थ्य की रक्षा करेगा.अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों से दूरियां बनाने के प्रयास करेगा.

 गंभीर बीमारियों से बचने के लिए उपलब्ध टीका लगवाएगा और अपने परिजनों एवं समाज को प्रेरित करेगा.

 नियमित स्वास्थ्य सम्बन्धी जांचे कराकर, अपने शरीर को भावी रोगों से जागरूक होकर आने वाली विसंगतियों से बचने के प्रयास समय रहते करेगा.

 संक्रामक रोगों से बचाव के लिए स्वयं जागरूक होकर अन्य लोगो को भी जागरूक करेगा.

 प्राकृतिक आपदाओं या अन्य हादसों के समय पीड़ितों की यथा संभव सहायता करेगा.

 चिकित्सा के समय प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेद,या होम्योपेथिक चिकित्सा पद्धति को अपना कर चिकित्सा सम्बन्धी विसंगतियों से बचने का प्रयास करेगा.

विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर विश्व भर की जनता और प्रत्येक देश के शासकों को मानव स्वास्थ्य हित में विचार करना होगा,योजनाबद्ध तरीके से दुनिया से कंधे से कन्धा मिला कर आगे बढ़ना होगा. ताकि प्रत्येक इन्सान सुख शांति से स्वस्थ्य जीवन जी सके,और विकास का पूरा पूरा लाभ ले सके.

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