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वैसे तो नशा कोई भी हो इन्सान के लिए हानिकारक ही होता है.नशा क्षणिक आनंद तो देता है, परन्तु अनेक प्रकार के भयानक रोगों को भी आमंत्रित करता है.नशे से शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ परिवार की आर्थिक स्थिति भी प्रभावित होती है. पहले मादक द्रव्य को प्राप्त करने में अर्थात खरीदने में (हमारे देश में नशाखोरी रोकने के लिए लगने वाले भारी टैक्स के कारण सभी नशीले द्रव्य बहुत महंगे होते हैं),तत्पश्चात नशे से उत्पन्न रोगों के इलाज के लिए आवश्यक खर्च अच्छे अच्छे परिवारों को कंगाल बना देता है. नशा करने से नशा करने वाले व्यक्ति की कार्य क्षमता भी प्रभावित होने लगती है, जिससे रोजगार पर भी असर पड़ता है.नशे से तंत्रिका तंत्र कमजोर हो जाने के कारण मानसिक व्याधियां भी अपने पैर फैला सकती हैं.धूम्र पान करने वाला व्यक्ति न सिर्फ अपना नुकसान करता है, समाज को भी बहुत हानि पहुंचाता है क्योंकि तम्बाकू के धुएं के संपर्क में आने वाला व्यक्ति भी समान रूप से प्रभावित होता है.
”मैं एक ई.एन.टी सर्जन,डॉक्टर,और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर कह सकता हूँ की तम्बाकू सिर्फ मौत देता है,इससे कम कुछ नहीं” केन्द्रीय मंत्री डा.हर्ष वर्द्धन.
तंबाकू के इसी दुष्परिणाम को समझते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साल 1988 से 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया. साल 2008 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक स्तर पर सभी तंबाकू विज्ञापनों, प्रमोशन आदि पर बैन लगाने का आह्वान किया.
मादक द्रव्यों की सूची में अनेक पदार्थ शामिल हैं जैसे तम्बाकू,अफीम,चरस,गाँजा,कोकीन,बीडी सिगरेट,हेरोइन,शराब,एल.एस.डी.और नशा लाने वाली दवाएं, अधिक प्रचलन में है. इन सभी मादक द्रव्यों में तम्बाकू या तम्बाकू उत्पाद अपेक्षतया सस्ते होते हैं.इसीलिए इनका प्रचलन भी सर्वाधिक होता है.एक मजदूर,और भिखारी भी अपनी थकान मिटाने के लिए तम्बाकू या बीडी का उपयोग करता है,या सिर्फ तम्बाकू और चूने का प्रयोग करता है,और थोडा सक्षम व्यक्ति सिगरेट और सिगार के रूप में तम्बाकू उत्पादों का उपयोग करता है.
तम्बाकू का नशा दो प्रकार से किया जाता है चबा कर या फिर धुंआ बना कर.सिगरेट, बीडी और सिगार का प्रयोग धुएं के रूप में किया जाता है,जबकि पान मसाला, खैनी, गुटखा इत्यादि चबाकर प्रयोग किये जाने वाले तम्बाकू उत्पाद हैं.
दुनिया में हर साल तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से क़रीब 50 लाख लोगों की मौत होती है.जिनमे 9लाख भारतीय होते हैं. लेकिन इसके बावजूद लोग लगातार तंबाकू के आदी बनते जा रहे हैं.धूम्रपान के सेवन से कई दुष्परिणामों को झेलना पड़ सकता है. इनमें फेफड़े का कैंसर, मुंह का कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक, अल्सर, दमा, डिप्रेशन आदि भयंकर बीमारियां भी हो सकती हैं.इतना ही नहीं महिलाओं में तंबाकू का सेवन गर्भपात या होने वाले बच्चे में विकार उत्पन्न कर सकता है.एक सर्वे के अनुसार यह पाया गया है,की सिगरेट और सिगार का सेवन करने वाले,नहीं सेवन करने वालों के मुकाबले छः गुना अधिक मुख केंसर का शिकार बनते हैं,जबकि तम्बाकू को चबा कर सेवन करने वाले सामान्य से पचास गुना अधिक गाल और मसूढ़ों के केंसर से पीड़ित होते हैं.भारत वर्ष में सभी कैंसर पीड़ितों में चालीस प्रतिशत मुख केंसर के पीड़ित होते हैं, जबकि इंग्लेंड में यह सिर्फ चार प्रतिशत है.
इन सभी बीमारियों का कोई कारगर इलाज नहीं है,अतः तम्बाकू के सेवन को रोकना ही एक मात्र उपाय है.हर साल 31मई को तम्बाकू रहित दिवस मनाने का उद्देश्य है,की जनता का ध्यान तम्बाकू से होने वाले नुकसान की ओर खींचा जा सके,उसे सचेत किया जाय की वे तम्बाकू उत्पादों को सेवन करके अपने स्वास्थ्य के साथ कितना बड़ा खतरा मोल ले रहे है. तंबाकू एक ऐसा ही पदार्थ है जो विश्व में भर लाखों लोगों की खूबसूरत जिंदगी को ना सिर्फ बदसूरत बना देता है बल्कि उसे पूरी तरह खत्म ही कर देता है. इस सन्दर्भ में सभी देशों के शासकों का दायित्व है कि वे अपने देश की जनता को तम्बाकू उत्पादों के सेवन के खतरों से नियमित रूप से अवगत कराएँ और;-
तंबाकू ना सिर्फ जिंदगी तबाह कर देता है बल्कि जिस अंदाज में यह जिंदगी को खत्म करता है वह बेहद दयनीय और दर्दनाक होता है अगर स्थिति पर जल्द से जल्द काबू नहीं पाया गया तो हो सकता है, वाले कुछ सालों में तंबाकू से जुड़ी बीमारियां बढ़ें और इससे लोगों की और अधिक संख्या में मृत्यु हो. तंबाकू के खिलाफ लोगों के अंदर जागरुकता पैदा करने की जरूरत है. साथ ही अगर आपके अंदर भी तंबाकू खाने या सिगरेट पीने की आदत है और आप इस आदत को नहीं छोड़ पा रहे हैं तो जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से सलाह लें.आज नशा छुड़ाने के लिए प्रभावी चिकित्सा उपलब्ध है.
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