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नाकारा विपक्ष देश का दुर्भाग्य

jara sochiye
jara sochiye
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हमारे देश में पिछले अडसठ वर्ष की आजादी के दौरान अधिकतम शासन कांग्रेस का रहा है,अतः वर्त्तमान भा.ज.पा.के शासन काल में कांग्रेस की विपक्ष की भूमिका का सर्वाधिक महत्त्व है और उससे एक जिम्मेदार विपक्षी पार्टी की भूमिका निभाने की उम्मीद की जाती है. परन्तु गत चुनावों में हुई उसकी शर्मनाक हार ने उसे हताश और निराश कर दिया है. अपनी खोयी हुई साख को वापस पाने का अब उसे कोई रास्ता नहीं मिल रहा है. जनता का विश्वास जीतने के लिए उसे भा. ज. पा. के शासन में कमियां ढूँढने के लिए पसीना बहाना पड रहा है.भा. ज. पा. के एक वर्ष पूरे होने पर एक भ्रष्ट मुक्त और विकासोन्मुख शासन ने कांग्रेस समेत सभी विपक्षी पार्टियों की नींद उडा दी है.अब सभी विपक्षी पार्टियाँ जनता को अपने पक्ष में करने के लिए तर्क हीन बयानों पर उतर आयी हैं.कांग्रेस पार्टी ने भूमि अधिग्रहण बिल पर किसानों को भड़काना शुरू कर दिया है,जी. एस. टी. बिल को लेकर उसके विरोध में समस्त विपक्ष एक जुट हो गया है, ताकि देश का विकास अवरुद्ध हो और सरकार बदनाम हो.विपक्षी पार्टियों का उद्देश्य सरकार के प्रत्येक कार्य का विरोध करना रह गया है कार्य की गुणवत्ता या देश हित के लिए सोचना उनके लिए अप्रासंगिक हो गया है.इसी प्रकार जो सरकारी कर्मी भ्रष्ट गतिविधियों में संलग्न रहते है,या आम जन जिन्हें भा.jज.पा. के शासन के दौरान उनके व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ती होने की सम्भावना नहीं है, वे मोदी सरकार के प्रत्येक कदम को संदेह की दृष्टि से देखते हैं. उन्हें सरकार के किसी भी कार्य में अच्छाई नजर नहीं आती. दरअसल उन्हें अपना विकास चाहिए(अपनी तिजोरियां भरनी चाहिए)उन्हें देशहित की बात करने वाला नहीं भाता. इसीलिए ऐसे लोग मोदी की आलोचना करके जनता में भ्रम पैदा करते रहते हैं.क्योंकि स्व हित के आगे देश हित की बातें उनके लिए कोई महत्त्व नहीं रखती.
2014 में हुए लोकसभा चुनावो के परिणामों से लगभग बौखला चुकी देश की सत्ता से दूर हो चुकी विरोधी पार्टियाँ अपने व्यव्हार में संयम खो चुकी हैं. यद्यपि स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए मजबूत विपक्ष का होना आवश्यक होता है और विरोधी पक्ष का कार्य सरकार के कार्यों का विश्लेषण कर तथ्यों को जनता के समक्ष रखना होता है,और गलत कार्यों या जनता विरोधी कार्यों के लिए जनता को सजग करना होता है,सरकार को जनविरोधी कार्यों से रोकना होता है. परन्तु यदि विपक्ष अपनी जिम्मेदारियों को देश हित में न निभा कर, सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए,अपनी पार्टी के हित के लिए जनता के समक्ष अनर्गल टिप्पड़िया प्रस्तुत करें,सिर्फ विरोध करने के लिए सरकार के प्रत्येक कार्य का विरोध करे और जनता को गुमराह करे, तो इसे देश और लोकतंत्र के लिए स्वास्थ्यवर्द्धक नहीं कहा जा सकता. विरोधी पार्टिया सत्ता पक्ष के प्रत्येक कार्य का विरोध करना ही अपना कर्तव्य समझने लगें,तो यह देश का दुर्भाग्य ही है.इस प्रकार से देश विकास नहीं कर सकता.लोकतंत्र में जहाँ (जनता द्वारा चुनी गयी सरकार)सत्ताधारी पार्टी का कर्तव्य होता है की वह जनहित और देश हित में कार्य करे, तो विपक्ष की भूमिका उसके कार्यों की सकारात्मक समीक्षा करना होता है.उसके द्वारा उठाये जा रहे गलत क़दमों से सरकार और जनता को सचेत करना होता है.

जो विरोधी पक्ष के नेता चुनावों में भाजपा के सत्ता में आने पर देश को भयानक साम्प्रदायिकता के आगोश में खतरा बता रहे थे.और इस प्रकार भ्रम पैदा करके जनता से वोट लेने की साजिशें रच रहे थे. वहीँ अब विरोधी पक्ष के नेताओं को आज मोदी जी के हर कार्य में दिखावा और देश विरोधी कदम दिखाई देता है.कांग्रेसी मोदी की बढती लोकप्रियता से चिंतित हैं और अनाप शनाप बयानबाजी कर अपने शासनकाल को उचित ठहराते हैं. जिनके कार्यकाल में देश, अव्यवस्था और भ्रष्टाचार के दल दल में बुरी तरह से फंस गया था, वे ही मोदी के शासन में अनेक कमियां निकाल कर अपनी पीठ थपथपाने का असफल प्रयास कर रहे हैं. विरोधी पार्टियों के समय रहते चेत जाना चाहिए की अब देश की जनता को और अधिक नहीं बरगलाया जा सकता.और अपनी सोच को देश हित और जनता हित की ओर उन्मुख करना होगा.अन्यथा उन्हें राष्ट्रीय राजनैतिक पटल से विलुप्त होना पड़ेगा.
कांग्रेस ने अपने लिये गड्ढा स्वयं खोदा है 2011 मे अन्ना जी के नेतृत्व में देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए सशक्त लोकपाल की मांग के समर्थन में आन्दोलन चलाया गया था.इस आन्दोलन को समर्थन देकर कांग्रेस पार्टी को दोबारा सत्ता पर काबिज होने का अवसर मिल सकता था. पार्टी के लिए सुनहरी अवसर था जनता का विश्वास जीतने का और भ्रष्टाचार के विरुद्ध अपनी संकल्प बद्धता दिखाने का.परन्तु सत्ता के मद में चूर कांग्रेसी सरकार ने अन्ना के आन्दोलन को अप्रासंगिक करना ही अपना उद्देश बना लिया और जनता की आवाज को नकार दिया. इसके परिणाम स्वरूप ही कांग्रेस को अप्रत्याशित शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा.शायद वही गलती अब भी दोहरायी जा रही है देश के लिए हितकारी कार्यों,योजनाओं का विरोध करके.
आज भी अनेक बार कांग्रेसी नेता देश में गत छः दशकों में हुए विकास को अपनी पार्टी की उपलब्धि मानते हैं.सच्चाई तो यह है की इस दौरान जो भी उन्नति हुई है वह हमारे देश की जनता के द्वारा किये कड़े परिश्रम का ही परिणाम है, जिसमे सरकार का योगदान नगण्य ही रहा है.सरकार द्वारा विकास सिर्फ उस क्षेत्र का किया गया जिसमे नेताओं को भारी कमीशन मिलने की उम्मीद थी.उन्ही कारखानों, मिलों को फलने फूलने का मौका दिया गया जिन्होंने नेताओं और सरकारी कर्मियों की हर स्तर पर जेबें भरी.ईमानदार और परिश्रमी व्यवसायी,उद्योगपति,व्यापारियों को हर स्तर पर हतोत्साहित किया गया, उनके काम में हर लेवल पर अड़ंगे लगाये गए,उन्हें परेशान किया गया. ईमानदार,कर्त्यव्य निष्ठ.परिश्रमी सरकारी कर्मियों को बार बार दण्डित किया गया. भ्रष्ट और नेताओं के लिए गलत कार्य करने वाले नौकरशाहों को पुरस्कार के रूप में पदोन्नत किया गया.अतः कांग्रेस शासन के दौरान जो भी उन्नति हुई है वह जनता के अपन दम पर हुई है सरकार का कभी भी अपेक्षित सहयोग प्राप्त नहीं हुआ.अन्यथा देश आज विकसित देशों की श्रेणी में खड़ा होता.i
कांग्रेस समेत सभी विरोधी पार्टियों को अब अपनी सोच बदलनी होगी.वह समय गया जब वे धर्म,जाति,फ्री गिफ्ट, जैसे अनर्गल मुद्दों पर चुनाव लड़ कर जीतते थे. आज देश की जनता पढ़ी लिखी और समझदार हो गयी है अब उसे धर्म या जाति के आधार पर,या झूंठे सब्जबाग दिखाकर बरगलाना असंभव हो गया है.अब जो पार्टी या नेता जनता के हित में सार्थक कदम उठाएगा,जनता की समस्याओं का निराकरण करेगा, उसे ही देश पर शासन का अवसर मिलेगा.अब देश को विकास की ओर ले जाने से कोई नहीं रोक सकता.

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