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१,सभी धर्मों में पूजा करते समय सिर ढक लिया जाता है.
२ ,पूजा स्थलों कि अलग से व्यवस्था कि जाती है जैसे मंदिर मस्जिद चर्च गुरुद्वारा इत्यादि
३,सभी धर्म किसी महापुरुष द्वारा स्थापित किया गए और उनकी ही पूजा कि जाती है.
४,सभी धर्मों का समाज के प्रत्येक धर्मवलम्बी कि जीवन चर्या पर पर्याप्त दखल होता है.नियंत्रित होता है.
५,प्रत्येक समाज में मनाये जाने वाले सभी त्यौहार धार्मिक उद्देश्य लिए होते है.
६,सभी धर्मों में पूजा या इबादत करते समय दीपक (अग्नि),सुगंध(धुप बत्ती ,अगरबत्ती इत्यादि ) का महत्त्व होता है.
७,सभी धर्मों में अपने अराध्य देव से कुछ न कुछ मांगने का चलन है,पूजा का मकसद भी यही होता है.
८,सभी धर्म दुसरे धर्मावलम्बियों को आकृष्ट करने का प्रयास करते है और अपने धर्म को दुनिया भर में प्रचारित प्रसारित करने के इच्छुक रहते हैं.
९,अपने धर्म के समर्थन में हिंसा का सहारा लेने से भी नहीं चूकते।
१० ,कोई भी धर्म इंसानियत के विरुद्ध नहीं है,परन्तु प्रत्येक धर्म में व्यभिचार,अनाचार व्याप्त है। यहाँ तक जिनके ऊपर धर्म की रक्षा की जिम्मेदारी है वे भी अनेक बार अनाचार ,व्यभिचार,हिंसा में आरोपित होते रहते हैं.
सत्य शील अग्रवाल
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